नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार से बच्चों के लिए अलग रैन बसेरों के निर्माण को लेकर जवाब मांगा। 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के उद्देश्य से अलग रैन बसेरे बनाने की मांग वाली याचिका पर अदालत ने यह नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से चार मार्च तक जवाब देने के लिए कहा है।
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रैन बसेरों के निर्माण की कोई सक्षम व्यक्ति देखरेख भी नहीं करता
दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में ऐसा एक भी रैन बसेरा नहीं बनाया गया है, जिसमें बच्चे अन्य बेघर वयस्कों से अलग रात गुजार सकें। याचिका में कहा गया है कि 12 वर्ष से कम आयु के लड़के या लड़की के व्यस्कों के साथ रैन बसेरों में रात गुजारने से उनका उत्पीड़न होगा। याचिका में आगे कहा गया है कि नशे की हालत में रैन बसेरों में रात बिताने आने वाले वयस्कों द्वारा बच्चों के यौन उत्पीड़न की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
याचिकाकर्ता समाजसेवी सालिक चंद जैन ने कहा, इसलिए उचित यही होगा कि बच्चों के लिए अलग रैन बसेरे बनाए जाएं। याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुग्रीव दुबे ने अदालत से कहा कि इन रैन बसेरों की कोई सक्षम व्यक्ति देखरेख भी नहीं करता, परिणामस्वरूप बच्चों को शारीरिक प्रताड़ना एवं बर्बरता का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि मादक पदार्थो का सेवन करने वाले नशेड़ी इन रैन बसेरों में जाकर लड़कियों और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, लेकिन अधिकारी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते।
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