उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पद पर बैठ जाने के बाद से ही जनता के बीच सवाल उठ रहे हैं कि क्या योगी के निर्वाचन से मुसलमानों पर अत्याचार या उत्पीड़न बढ़ेगा? यह प्रश्न इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर बनी हुई है. योगी अपने आक्रामक बयानों के कारण शुरू से ही सुर्ख़ियों में रहे हैं.
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इन्हीं सभी चर्चाओं के बीच केन्द्रीय मंत्री वेंकैया नायडू का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि योगी सभी वर्गों के लोगों का ख़याल रखेंगे और वह सभी आरोपों को गलत साबित करते हुए एक सफल मुख्यमंत्री बन कर दिखायेंगे.
#YogiAdityanath ji will care for all sections of people &will prove critics wrong. Will become one of the most successful CMs:Venkaiah Naidu pic.twitter.com/efBDb74pJ3
— ANI UP (@ANINewsUP) 20 March 2017
योगी आदित्यनाथ पर हैं यह आरोप
उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री शुरू से विवादित रहे हैं, कभी अपने बयानों की बदौलत तो कभी अपने कारनामों की. उनके खिलाफ आईपीसी की धाराओं की सूची है.
- 147 (दंगे के लिए दंड),
- 302 (मौत की सजा),
- 148 (घातक हथियार से दंगे),
- 295 (किसी समुदाय के पूजा स्थल का अपमान करना),
- 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण),
- 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना),
- 307 (हत्या का प्रयास),
- 506 (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के मामले दर्ज हुए हैं.
अगर योगी को सजा हुई तो ऐसा होगा
पुलिस ने इन मामलों में से कई मामलों में क्लोजर रिपोर्ट तो साल 2000 में ही दाखिल कर दी थी, लेकिन इन पर स्थानीय अदालत का फैसला आना अभी भी बाकी है. हालाँकि स्थानीय अदालत के बाद ये मामले हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकते हैं लेकिन सजाओं को देखा जाए, तो इन जुर्मों के लिए संविधान में 2 साल का कारावास से लेकर फांसी की सजा का भी प्रावधान है.
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