योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के पीछे जिस शख्स का अहम किरदार है, उसका नाम सामने आ गया है.
सुरेश खन्ना भारतीय जनता पार्टी के अकेले ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने शाहजहाँपुर शहर से उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव 1989 से 2017 तक लगातार आठ बार जीता.
उन्होंने साल 2004 में सांसदी का चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए. इसके बाद से उन्होंने विधायकी ही करने की ठान ली.
चुनाव जीतने के लिहाज से देखा जाये तो सुरेश खन्ना भाजपा में सबसे आगे हैं, लेकिन जब बात यूपी के सीएम की आई तो उनका नाम भी उछला था.
हालाँकि सुरेश की पहली पसंद तो खुद योगी आदित्यनाथ थे. बताया जाता है कि 18 मार्च को लखनऊ में विधायक दल की बैठक से पहले से योगी का नाम तय हो गया था. पीएम नरेन्द्र मोदी भी राजी थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी उनके नाम पर हामी भर दी थी. लेकिन यूपी में मिले भारी बहुमत के कारण भाजपा नेतृत्व को अंदेशा था कि सीएम पद के लिए कई चेहरे सामने आ जाएँ.
बाहर केशव प्रसाद मौर्या, दिनेश शर्मा और मनोज सिन्हा जैसे दिग्गजों को सीएम बनाने की मांग जोर-शोर से उठ रही थी.
ऐसे में सिर्फ योगी पर मुहर लगाने की जिम्मेदारी यूपी भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता सुरेश खन्ना को सौंपी गयी.
इस बारे में विधायक दल की बैठक के बाद यूपी के पर्यवेक्षक वेंकैया नायडू ने भी कहा था कि सबसे पहले सुरेश खन्ना ने योगी के नाम का प्रस्ताव रखा.
#WATCH Live: BJP addresses press conference after announcement of Yogi Adityanath becoming state CM
Gepostet von Asian News International (ANI) am Samstag, 18. März 2017
भाजपा के एक नेता बताते हैं कि सुरेश खन्ना इतने वरिष्ठ हैं कि उनकी हर बात पर लोग भरोसा करते हैं. योगी पर भी विधायकों का विश्वास था, लेकिन सुरेश खन्ना की ओर से उठी पहली आवाज़ से यह विश्वास और मज़बूत हो गया.
इसके बाद तो पूरा यूपी योगी-योगी हो गया. खुद योगी ने भी स्थितियों को समझते हुए अपने लिए दो सहयोगी मांगे. फिर केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया.
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