उच्चतम न्यायलय ने उपहार सिनेमा कांड में एक आरोपी को सजा सुनायी है. बड़ी बात यह है कि मामले के आरोपी गोपाल अंसल को सिर्फ एक साल की सजा सुनाई है.
कोर्ट ने उपहार सिनेमा मामले का यह फ़ैसला कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर सुनाया है. गोपाल अंसल को एक महीने में सरेंडर करना होगा. वही सुशील अंसल की उम्र को देखते हुए उनकी सजा माफ कर दी गई.
सुप्रीम कोर्ट का यह एक बड़ा फैसला है क्योंकि कुछ समय पहले कोर्ट फैसले को लेकर चर्चा कर रहा था कि सुशील अंसल और गोपाल अंसल को सजा दी जाए या जुर्माना लेकर जेल की सजा माफ की जाए.
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इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और पीड़ितों की पुनर्विचार याचिका पर 14 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिए थे.
सीबीआई ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि कोर्ट में उसे अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका नहीं मिला, इसलिए न्याय नहीं हुआ.
इस आधार पर सीबीआई ने मांग की थी कि मामले पर दोबारा विचार किया जाए. वही पीड़ितों की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जबकि देश के कानून के हिसाब से किसी भी अपराधी की सजा के साथ जुर्माना तो लगाया जा सकता है. लेकिन सजा को जुर्माने में तब्दील नहीं किया जा सकता.
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बड़ी बात यह है कि नवंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया जब सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में उन्हें तीन महीने के भीतर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया गया था.
यह हादसा 1997 हिन्दी फिल्म ‘बॉर्डर’ के प्रदर्शन के दौरान हुए इस अग्निकांड में 59 दर्शकों की मृत्यु हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने उम्र के आधार पर कहा था कि जुर्माना ना देने की सूरत में 2 साल जेल की सजा दी जाएगी.
सुशील अंसल पांच महीने जबकि गोपाल अंसल चार महीने की सजा काट चुके हैं. इससे पहले दो जजों की बेंच ने अलग अलग फैसले सुनाए जिसकी वजह से मामले को तीन जजों की बेंच में भेजा गया था.
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