नई दिल्ली: हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया. ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये. ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं. देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है. हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं. देवी पुराण में ज़रूर 51 शक्तिपीठों की ही चर्चा की गई है. इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी हैं और पूजा-अर्चना द्वारा प्रतिष्ठित हैं.
51 शक्तिपीठों के सन्दर्भ में जो कथा है वह यह है राजा प्रजापति दक्ष की पुत्री के रूप में माता जगदम्बिका ने जन्म लिया. एक बार राजा प्रजापति दक्ष एक समूह यज्ञ करवा रहे थे. इस यज्ञ में सभी देवताओं व ऋषि मुनियों को आमंत्रित किया गया था. जब राजा दक्ष आये तो सभी देवता उनके सम्मान में खड़े हो गए लेकिन भगवान् शंकर बैठे रहे. यह देखकर राजा दक्ष क्रोधित हो गए.
उसके बाद एक बार फिर से राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया इसमें सभी देवताओं को बुलाया गया, लेकिन अपने दामाद व भगवान शिव को यज्ञ में शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं भेजा. जिससे भगवान शिव इस यज्ञ में शामिल नहीं हुए. नारद जी से सती को पता चला कि उनके पिता के यहां यज्ञ हो रहा है लेकिन उन्हें निमंत्रित नहीं किया गया है. इसे जानकर वे क्रोधित हो उठीं.
Facebook
Twitter
Google+
RSS