दुनिया में बढ़ता प्रदूषण कई खतरनाक बीमारियों को जन्म दे रहा है. आज स्मार्टफ़ोन का युग है. ज़्यादातर लोग इसका उपयोग करते हैं. हालांकि इसका ई-वेस्ट खतरनाक प्रदूषण को जन्म देता है.अब इसका भी हल ढूँढ लिया गया है. क्योंकि जापान सरकार ने अब ई-वेस्ट से ओलंपिक मेडल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. 2020 पैरालंपिक खेलों के मेडल देश के आम नागरिकों के फ़ोन से तैयार किये जायेंगे.
जापान सरकार ने जापान ओलंपिक प्रबंधन समिति की सिफ़ारिशों को मान लिया है. अप्रैल महीने से देश के हर सरकारी दफ्तर और फ़ोन की दुकानों पर डिब्बे रखे जाएँगे. हर नागरिक इनमें ख़राब और पुराने फ़ोन जमा करा सकेंगे. सरकार ने नागरिकों से ख़राब बिजली उपकरणों को भी देने की अपील की है.
इसके बाद फ़ोन और दूसरे उपकरणों को भी दान करने की अपील कर रही है, जिससे इन उपकरणों में मौजूद सोने चांदी और अन्य खनिज पदार्थ को रिसाइकिल कर उनसे 5000 ओलंपिक मेडल तैयार किये जायेंगे. जापान सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए ही इस कदम को उठाया है.
स्मार्टफ़ोन के अन्दर मौजूद खनिज पदार्थ
स्मार्टफ़ोन के अन्दर कई खनिज पदार्थ जैसे प्लेटिनम, सोना, चांदी, लिथियम, कोबाल्ट, और निकेल मौजूद होते हैं. कंपनियां कबाड़ में से रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा इन खनिज पदार्थों को अलग करती हैं. यह काम ज़्यादातर चीन, भारत और इंडोनेशिया में होता है.
मेडल की लागत में होगा फ़र्क
टोक्यो ओलंपिक 2020 के खेल निदेशक कोजी मुरोफुशी ने कहा, हमारा यह कदम पर्यावरण के लिए उठाया गया बहुत ही अहम कदम है. साथ ही रिसाइकिल खनिज से मेडल की लागत भी काफी कम होगी.
पहले भी हुई थी इसकी पहल
रिसाइकिल पदक का इस्तेमाल पहले भी ओलंपिक में किया जा चुका है. इसमें रिसाइकिल धातु से सोने और कांस्य के पदक बनाये गए थे.
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