लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एक बार फिर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। मायावती ने गठबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि दिल मिले न मिले, हाथ मिलाते रहिए।
गठबंधन सिर्फ भाजपा को ही फायदा पहुंचाने की साजिश
बसपा सुप्रीमों ने कहा कि ऐसा गठबंधन सिर्फ भाजपा को ही फायदा पहुंचाने की साजिश है। आम जनता इनसे सतर्क रहे। वास्तव में ये नपाक गठबंधन है, जो भाजपा के इशारे पर बसपा को रोकने के लिए सपा के प्रयास से किया गया है। वैसे तो इस गठबंधन को भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के रूप में प्रचारित किया जा रह है, लेकिन यह छलावा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सब जानते हैं कि सपा का नेतृत्व सीबीआई के मार्फत भाजपा के शिकंजे में है। खुद मुलायम सिंह यादव सार्वजनिक तौर पर यह कह चुके हैं। सपा सरकार में काम कम और अपराध व सांप्रदायिक दंगे ज्यादा बोलते रहे हैं, फिर भी कांग्रेस मुंह की खाने को तैयार है, इसे अवसरवाद की राजनीति नहीं तो क्या कहा जाए।
मायावती ने कहा कि कांग्रेस सपा सरकार के दागी चेहरे और मुखिया के आगे घुटने टेककर गठबंधन कर रही है। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों की दोषी सपा सरकार से कांग्रेस का गठबंधन, उसी तरह की घिनौनी राजनीति है, जैसा 2002 के गुजरात दंगे के दोषी नरेंद्र मोदी को माफ कर उनकी पार्टी के साथ समझौता करना।
मायावती ने की तारीफ तो अखिलेश ने उनपर कसा था तंज़
इससे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने एक संयुक्त प्रेस कोन्फ्रेंस की। इस प्रेस कोंफ्रेंस मेन जहां राहुल गांधी ने मायावती के विचार धाराओं को सराहा वहीं अखिलेश यादव ने उनपर तंज़ कसा। बीएसपी प्रमुख मायावती पर बोलते हुए कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने हम मायावती के विचारधाराओं से काफी प्रभावित हैं, यहीं वजह है कि हम उनका सम्मान करते है। राहुल ने कहा कि मायावती ने देश को बचाने के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है, जिसे हम कभी नहीं भूला सकते।
वहीं अखिलेश ने मायावती पर बोलते हुए कहा कि बहुत दिन हो गए हम तो अब कुछ बोलते नहीं, लेकिन गठबंधन के सवाल पर बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि आप तो जानते है कि उनका चुनाव चिन्ह हाथी है। और हाथी कितनी जगह लेता है। यानि तस्वीर साफ थी अखिलेश, मायावती पर तंज कसते हुए कहा कि अगर उनके साथ गठबंधन करते है तो वो ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है। वहीं अखिलेश का इशारा साफ था, वो किसी भी कीमत पर मायावती के साथ गठबंधन करने से परहेज कर रहे है।
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