नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लोगों से केवल अपने अधिकारों पर ही नहीं, बल्कि अपने कर्तव्यों पर भी ध्यान देने का आग्रह किया। मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, ‘लोगों को चर्चाओं के दौरान अपने अधिकारों के साथ ही अपने कर्तव्यों पर भी ध्यान देना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने मन की बात में कहा, ‘हम केवल अपने अधिकारों के बारे में सोचते हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वे जितना अपने अधिकारों के बारे में सोचते हैं, उन्हें अपने देश और साथी नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्यों पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए।’
#MannKiBaat with students- on #StressFreeExams, importance of knowledge & why proper rest matters during exams. https://t.co/1Yw3HVHYQA
— Narendra Modi (@narendramodi) January 29, 2017
यह भी पढ़ें : केंद्र सरकार, सोमनाथ की तर्ज पर करवाए राम मंदिर का निर्माणः महंत नृत्यगोपाल दास
पीएम मोदी ने कहा कि अधिकार और कर्तव्य की दो पटरी पर ही, भारत के लोकतंत्र की गाड़ी तेज गति से आगे बढ़ सकती है। शहीदों को सम्मान देते हुए उन्होंने कहा कि युवा सोशल मीडिया पर वीर सैनिकों, शहीदों के पराक्रम को लिखें। पीएम ने कहा, ‘मैं शहीद जवानों को नमन करता हूं। हिमस्खलन में जवानों को खोना दुखद।’ पीएम मोदी ने कहा, ‘आज मैं बच्चो से बात करने आया हूं। परिक्षा के समय में परेशानी का वातावरण होता है। युवाओं से विस्तार से बात करूंगा।’ उन्होंने कहा कि बच्चों ने अपनी परेशानियों को शेयर किया था और आज मैं इन परेशानियों को शेयर कर रहा हूं। पीएम ने कहा, ‘ परीक्षा अपने आप में एक खुशी का अवसर होना चाहिए। परीक्षा एक उत्सव है, परीक्षा को ऐसे लीजिए जैसे मानों त्योहार है। ज्यादातर के लिए परीक्षा परेशानी हैं। परीक्षा में उत्सव का माहौल बने। उत्सव से दबाव कम हो जाएगा। माता-पिता बच्चों की मदद करें।’
पीएम मोदी ने बच्चों का मार्गदर्शन करते हुए कहा, ‘जीवन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा काम नहीं आती है। जीवन को आगे बढ़ाने के लिए अनुस्पर्धा काम आती है। खुद के साथ मुकाबला करें, दूसरों के साथ नहीं।’ पीएम ने इस संदर्भ में क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा में पराजय, हताशा, निराशा और ईर्ष्या को जन्म देती है, लेकिन अनुस्पर्धा आत्मंथन, आत्मचिंतन का कारण बनती है।
यही नहीं, उन्होंने कहा कि अभिभावक अपेक्षा ज्यादा करते हैं। उन्होंने सलाह दी कि बच्चों से अपेक्षा कम करें, ठीक रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि मैं अभिभावकों से इतना ही कहना चाहूंगा- तीन बातों पर हम बल दें…स्वीकारना, सिखाना, समय देना। वहीं बच्चों को हिदायत दी कि नकल आपको बुरा बनाती है, इसलिए नकल न करें। नकल जीवन को विफल बनाने के रास्ते की तरफ घसीटकर ले जाती है। उन्होने कहा कि कभी-कभी मुझे लगता है कि अभिभावकों की जो अपेक्षाएं होती है, उम्मीदें होती हैं, वो बच्चे के स्कूल बैग से भी ज्यादा भारी होती हैं।
Facebook
Twitter
Google+
RSS