नई दिल्ली: माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है| इस बार मौनी अमावस्या 27 जनवरी दिन शुक्रवार को पड़ रही है| कहते हैं मौनी अमावस्या के दिन ही द्वापरयुग की शुरुआत हुई थी| इसी दिन सृष्टि के निर्माण करने वाले मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है| मौनी अमावस्या के दिन लोग मौन धारण करते हैं| क्या आपको पता है कि आखिर लोग क्यों मौन धारण करते हैं?
मौनी अमावस्या के दिन जरूर धारण करना चाहिए मौन
टिकट बंटवारे को लेकर गुस्से में कार्यकर्ता, सांसद को बांध दिया
यदि नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि मौनी अमावस्या के दिन लोग क्यों मौन धारण करते हैं| विद्वानों का मानना है कि इस दिन व्यक्ति विशेष को मौन व्रत रखना चाहिए| मौन व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना चाहिए| धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत करके अपने वश में करना ही मौन व्रत है| कई लोग इस दिन से मौन व्रत रखने का प्रण करते हैं| वह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि कितने समय के लिए वह मौन व्रत रखना चाहता है|
मनुष्य के अंदर होते हैं तीन मैल
प्रत्येक मनुष्य के अंदर तीन प्रकार का मैल होता है| कर्म का मैल, भाव का मैल तथा अज्ञान का मैल| इन तीनों मैलों को त्रिवेणी के संगम पर धोने का महत्व है| त्रिवेणी के संगम पर स्नान करने से व्यक्ति के अंदर स्थित मैल का नाश होता है और उसकी अन्तरआत्मा स्वच्छ होती है, इसलिए व्यक्ति को इस दिन मौन व्रत धारण करके ही स्नान करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि त्रिवेणी के संगम में मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने से सौ हजार राजसूय यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है अथवा इस दिन संगम में स्नान करना और अश्वमेघ यज्ञ करना दोनों के फल समान है|
Facebook
Twitter
Google+
RSS