लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुसीबतें बढ़ती नजर आ रही हैं। हाल ही में नोटबंदी के बाद दिल्ली के करोल बाग़ स्थित यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया की शाखा में पार्टी अकाउंट में 2 दिसंबर से 9 दिसंबर 2016 के बीच 104 करोड़ डाले गए थे। इसी मामले में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को तीन महीने निर्णय लेने का आदेश दिया है।
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जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने यह फैसला याचिकाकर्ता प्रताप चंद्रा की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर तथा निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता मनीष माथुर को सुनने के बाद दिया। अपनी याचिका में अधिवक्ता नूतन ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि निर्वाचन आयोग ने 29 अगस्त 2014 द्वारा वित्तीय पारदर्शिता सम्बन्धी कई निर्देश पारित किये। जिन्हें आयोग ने अपने आदेश 19 नवम्बर 2014 द्वारा और अधिक स्पष्ट किया।
इन निर्देशों में कहा गया है कि कोई भी राजनैतिक दल उन्हें चंदे में प्राप्त नकद धनराशि को प्राप्ति के 10 कार्यकारी दिवस के अन्दर पार्टी के बैंक अकाउंट में अवश्य ही जमा करा देगा। इन निर्देशों में कहा गया है कि यदि किसी पार्टी ने इन निर्देशों का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ निर्वाचन चिन्ह (आरक्षण एवं बटाई) आर्डर 1968 के प्रस्तर 16ए में पार्टी की मान्यता रद्द करने सहित तमाम कार्यवाही की जा सकती है।
गौरतलब है कि नोटबंदी का आदेश 08 नवम्बर को आया था। और इन निर्देशों के मुताबिक, अधिकतम 20 नवंबर तार पैसे बैंक अकाउंट में जमा हो जाने चाहिए थे लेकिन बसपा ने 2 दिसंबर के बाद अपने पार्टी अकाउंट में 104 करोड़ रुपये जमा किये। सीधे सीधे यह मामला निर्देशों के उल्लंघन का बनता है।
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