लखनऊ: समाजवादी पार्टी का झगड़ा अब चरम सीमा पर पहुंच चुका है। सोमवार को मुलायम सिंह यादव पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने मुलायम से कहा ‘नेताजी पार्टी बचा लीजिए।’ कार्यकर्ताओं की इस बात को सुनकर मुलायम ने कहा कि अखिलेश यादव उनकी नहीं सुन रहे हैं। मुलायम ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा, ‘अखिलेश यादव को मैंने तीन बार बुलाया लेकिन आए और बिना मेरी बात सुने चले गए।’
अखिलेश को लेकर मुलायम ने दिया बड़ा बयान
मुलायम ने कहा कि मैं अखिलेश को तीन दिन से बुला रहा हूं लेकिन वह मेरे पास नहीं आया। मैंने अखिलेश को फोन भी किया लेकिन वह मेरा फोन नहीं उठा रहा है। उन्होंने कहा कि जैसा रामगोपाल कह रहे हैं वह वैसा ही कर रहा है। मेरा बेटा विरोधियों के हाथ में खेल रहा है। मुलायम ने कहा कि अखिलेश मेरे पास एक हफ्ते पहले आया था और उम्मीदवारों की लिस्ट लेकर चला गया। तब से मैंने कई बार उसे मिलने के लिए बुलाया लेकिन वह नही आया। सोचा नही था बेटा ऐसा करेगा। अब कोई समझौता नहीं हो सकता।
मुलायम सिंह ने कहा कि कई कार्यकर्ता मेरे पास रोए कि चिन्ह बचा लीजिए और पार्टी बचा लीजिए। मैं चुनाव आयोग से अपनी गुजारीश कर चुका हूं। उन्होंने आगे कहा, ‘यदि हमें ‘साइकिल’ नहीं मिलेगी तो किसी चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ेंगे। आपलोग सहयोग करें और पार्टी की सरकार बनाइए।
उन्होंने कहा कि जनता के बीच सन्देश गया हैं कि अखिलेश मुसलमान विरोधी है, उनके प्रत्याशियों की सूची में मुसलमान कम हैं। इससे लोगों के बीच मैसेज गया है कि मुसलमान विरोधी है। बताचीत के दौरान पार्टी के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ को लेकर मुलायम ने कहा कि मैंने अपने तरफ से हर कोशिश की है। अपना आयोग के सामने रख दिया है। अब चुनाव आयोग ही फैसला लेगा। चुनाव आयोग जो फैसला करेगा स्वीकार होगा।
साइकिल किसकी होगी, आज चुनाव आयोग सुना सकता है फैसला
समाजवादी पार्टी में चुनाव चिह्न साइकिल को लेकर मचा घमासान आज समाप्त हो सकता है क्योंकि चुनाव आयोग अपना फैसला सुना सकता है। अखिलेश और मुलायम गुट की नजर दिल्ली पर टिकी हुई है। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। साइकिल किसकी होगी? चुनाव आयोग आज शाम तक इसपर अपना फैसला सुना सकता है।
साईकिल को लेअर चल रही लड़ाई
गौरतलब है कि सपा में जारी संकट के बीच सबसे पहले मुलायम सिंह यादव और फिर अखिलेश खेमे ने चुनाव आयोग में चुनाव चिह्न् पर दावा ठोका था। मुलायाम ने कहा है कि पार्टी उन्होंने बनाई है इसलिए पहला हक उनका है।अखिलेश खेमे के रामगोपाल यादव ने छह जनवरी को अखिलेश के समर्थक नेताओं की सूची सौंपी थी। उन्होंने बताया था कि 229 में से 212 विधायकों, 68 में से 56 विधान परिषद सदस्यों और 24 में से 15 सांसदों ने अखिलेश को समर्थन देने वाले शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
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