लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने भारतीय निर्वाचन आयोग की सलाह पर बलिया जिले के रसड़ा विधानसभा से निर्वाचित बसपा विधायक उमाशंकर सिंह की सदस्यता रद्द करने का आदेश दिया है। बीएसपी विधायक उमाशंकर सिंह विधायक रहने के बावजूद अपने फर्म पर सरकारी ठेके लेने का आरोप है।
उमाशंकर सिंह के खिलाफ लोकायुक्त ने दर्ज कराई थी शिकायत
दरअसल एडवोकेट सुभाष चन्द्र सिंह ने 18 दिसम्बर, 2013 को शपथ पत्र देकर उमाशंकर सिंह के विरूद्ध यूपी के लोकायुक्त शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि विधायक निर्वाचित होने के बाद भी वे सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य करते आ रहे थे। तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा की जांच में आरोप विधायक पर सिद्ध हुए थे। इसके बाद यह रिपोर्ट राज्यपाल के पास भेज दी गई थी।
राज्यपाल ने प्रकरण भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के अभिमत के लिए तीन अप्रैल, 2014 को संदर्भित कर दिया| भारत निर्वाचन आयोग से तीन जनवरी, 2015 को अभिमत प्राप्त होने पर उमा शंकर सिंह ने राज्यपाल नाईक के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय दिए जाने का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार करते हुए राज्यपाल ने 16 जनवरी, 2015 को उनका पक्ष सुना।
राज्यपाल ने सदस्यता रदद् करने का दिया आदेश
पक्षों को सुनने के बाद राज्यपाल ने आरोपों को सही पाते हुए 29 जनवरी, 2015 को सिंह को विधायक निर्वाचित होने की तिथि छह मार्च, 2012 से विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। राज्यपाल के निर्णय के विरुद्ध अयोग्य घोषित विधायक उमा शंकर सिंह ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वाद दायर किया था, जिस पर 28 मई, 2015 को निर्णय देते हुए न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग प्रकरण में स्वयं शीघ्रता से जांच कर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराए और उसके बाद राज्यपाल इस मामले में अपना निर्णय लें।
उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में भारत निर्वाचन आयोग ने विधायक उमा शंकर की प्रकरण में जांच की एवं सुनवाई का अवसर प्रदान किया। भारत निर्वाचन आयोग में निर्णय में देरी होने के कारण राज्यपाल ने नौ अगस्त, 2016 को विधायक के सदस्यता के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र भेजा, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने एक सितंबर, 2016 को पत्र द्वारा अवगत कराया था कि प्रकरण की जांच पूर्ण होने पर आयोग द्वारा शीघ्र उन्हें अभिमत से अवगत कराया जाएगा।
राज्यपाल ने 16 सितंबर, 2016 को इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त से फोन पर बात भी की थी, जिस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रकरण पर शीघ्र निर्णय लेने की बात कही थी। जिसके बाद राज्यपाल ने सात जनवरी 2016, 23 मई 2016, पांच नवंबर 2016 एवं 14 दिसंबर 2016 को स्मरण पत्र भी भेजे थे। आखिरकार 10 जनवरी को चुनाव आयोग ने भी विधायक की सदस्यता ख़त्म करने का निर्णय सही पाया और राज्यपाल को इससे अवगत भी करा दिया। इसके बाद राज्यपाल ने यह निर्णय लिया।
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