लखनऊ: भारतीय ज्योतिष में 12 राशियों में से एक मकर राशि में सूर्य के प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं। इसे हिंदुओं का बड़ा दिन भी कहा जाता है। मकर संक्रांति शिशिर ऋतु की समाप्ति और वसंत के आगमन का प्रतीक है। इसे भगवान भास्कर की उपासना एवं स्नान-दान का पवित्रतम पर्व माना गया है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जायेगी।
इस दिन दक्षिण से उत्तर की ओर अभिमुख हो जाता है सूर्य
मकर संक्रांति का पर्व जीवन में संकल्प लेने का दिन भी कहा गया है। संक्रांति यानी सम्यक क्रांति। इस दिन से सूर्य की कांति में परिवर्तन शुरू हो जाता है। वह दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर अभिमुख हो जाता है। उत्तरायण से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। अंधकार घटने लगता है और प्रकाश में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है। जब प्रकृति शीत ऋतु के बाद वसंत के आने का इंतजार कर रही होती है, तो हमें भी अज्ञान के तिमिर से ज्ञान के प्रकाश की ओर मुड़ने और कदम तेज करने का मन बनाना चाहिए।
संक्रांति का शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं।
मकर संक्रांति के दिन सुबह के 7 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 06 बजकर 08 मिनट तक का है।
मकर संक्रांति के दिन सुबह 7.14 से लेकर शाम 4.26 तक प्रीति संयोग बन रहा है।
शनिवार के दिन मकर संक्रांति का होना एक दुर्लभ संयोग है।
मकर संक्रांति के दिन उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर दान करें और स्वयं भी भोजन करें।
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