इलाहाबाद: उत्तर भारत में सूर्यदेव की अगवानी का महापर्व मकर संक्रांति बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। मकर राशि का स्वामी शनि को माना गया है और मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते हैं। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग नदियों और तालाबों में डुबकी लगा कर उगते सूर्य को जल अर्पित करते हैं। इस दिन दान करने का विशेष लाभ मिलता है।
सुबह से ही पवित्र स्नान करने वालों का लगा हुआ है तांता
संगम नगरी प्रयाग में मकर संक्रांति के स्नान पर्व पर शनिवार सुबह से ही पवित्र स्नान करने वालों का तांता लगा हुआ है। प्रशासन का अनुमान है कि मकर संक्रांति पर लगभग 75 लाख श्रद्धालु 17 घाटों पर आस्था की डुबकी लगाएंगे। इस बीच स्नान को लेकर प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। स्नानपर्व के एक दिन पहले माघ मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई।
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उल्लेखनीय है कि प्रशासन ने पवित्रस्नान के एक दिन पहले तैयारी पूरी करने का दावा किया। पांचों पांटून पुलों का निरीक्षण कर व्यवस्था को देखा गया। इसके साथ ही चकर्ड प्लेटों का निरीक्षण किया गया। मेला क्षेत्र में गुड़, तिल की दुकानें सजीं। संगम तट पर प्रकाश और साउंड की व्यवस्था पूरी कर ली गई है।
मकर संक्रांति पर स्नान का महत्व:-
मकर संक्रांन्ति के दिन यह मान्यता है कि इस दिन सूर्य के उत्तरायाण में प्रवेश करने से देवलोक में रात्रि समाप्त होती हैं और दिन की शुरूआत होती है। देवलोक का द्वारा जो सूर्य के दक्षिणायण होने से 6 महीने तक बंद होता हैं मंकर संक्रान्ति के दिन खुल जाता हैं। इस दिन दान इत्यादी पुण्य कर्म किये जाते हैं उनका शुभ फल प्राप्त होता है। मकर संक्रान्ति में स्नान एवं दान का भी विशेष महात्मय शास्त्रों में बताया गया है।
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