लखनऊ: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में चल रहे आंतरिक विवाद पर लोगों की निगाहें अब चुनाव आयोग में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दोनों की ओर से चुनाव आयोग में पार्टी का मुखिया होने का दावा किया गया है।
दिल्ली में ही हैं मुलायम और शिवपाल
मुलायम सिंह अपने भाई शिवपाल सिंह के साथ बुधवार से ही दिल्ली में हैं। अखिलेश खेमे की ओर से राम गोपाल आयोग में पेश होते रहे हैं। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने राम गोपाल यादव पर भाजपा से मिलकर सपा को तोड़ने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अपने पुत्र और बहू को सीबीआई से बचाने के लिए राम गोपाल यादव भाजपा से मिलकर सपा को तोड़ रहे हैं।
सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर फैसला सुना सकता है आयोग
चुनाव आयोग ने सुनवाई के लिए शुक्रवार को 12 बजे दोनो पक्षों को बुलाया है। आयोग सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर फैसला सुना सकता है। पार्टी के दोनों खेमों के एक होने की संभावना क्षीण हो गई है, हालांकि मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को ही कहा था कि वह पार्टी को किसी हालत में टूटने नहीं देंगे।
पार्टी दो धड़ों में बंट गयी है। एक धड़े का नेतृत्व मुलायम सिंह कर रहे हैं और उनके साथ वरिष्ठ नेता शिवपाल और राज्यसभा सांसद अमर सिंह हैं। दूसरे धड़े का नेतृत्व राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश के हाथ में हैं। उनके साथ राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और नीरज शेखर तथा किरणमय नंदा जैसे वरिष्ठ नेता हैं।
मुलायम धड़े का दावा है कि पार्टी की स्थापना मुलायम सिंह यादव ने की है। चुनाव चिह्न साइकिल पर उनके हस्ताक्षर हैं, इसलिए ये उन्हें मिलना चाहिए। अखिलेश धड़े का दावा है कि पार्टी के 90 प्रतिशत सांसद, विधायक और पदाधिकारी उनके साथ हैं, इसलिए चुनाव चिह्न और पार्टी के नाम पर उनका हक है।
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