ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा से इस समय बड़ी खबर आ रही है। खबर यह है कि घोटालों की आंच झेल रहे यादव सिंह के बेटे सनी यादव के प्रमोशन पर ग्रेटर नोएडा ऑथोरिटी ने रोक लगा दी है। हाल ही में को नोएडा प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के बेटे सन्नी यादव का प्रमोशन कर दिया गया था।
उन्हें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में वरिष्ठ प्रबंधक का पद दे दिया गया है। साथ ही डिविजन का प्रभार भी दे दिया गया। सवाल यह उठ रहा था कि सन्नी यादव को आखिर क्यों डिविजन का प्रभार दिया गया? जबकि उनके घर में सीबीआई की जांच चल रही है।
भ्रष्टाचार के प्रायवाची बने यादव सिंह
आपको बता दें कि भ्रष्टाचार का प्रायवाची बने यादव सिंह उनकी अकूत दौलत और ऊंची राजनैतिक पैठ के बारे में किसी को कभी गलतफहमी नहीं रही। उनके काले कारनामों के ढेरों कागजात वर्षों से मुख्यमंत्री कार्यालय, सीबीसीआईडी, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय में पड़े रहे थे। इसके बावजूद उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा था। यूपी में मायावती की सरकार थी, तब वे नोएडा अथॉरिटी का चीफ इंजीनियर थे।
उन्होंने जमकर पैसा कमाया। 2012 में अखिलेश यादव की नई सरकार आई और उस पर शिकंजा कसने का नाटक हुआ। सीबीसीआईडी जांच भी हुई, लेकिन उन्हें फटाफट क्लीनचिट मिल गई। साथ ही तोहफे में नोएडा के अलावा ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी की चीफ इंजीनियरी भी मिल गई। 1000 करोड़ रुपये की दौलत के मालिक यादव सिंह पैसा कमाने की वह सरकारी मशीन बन गए, जिसे सजा देना तो दूर, हाशिए पर डालने की कोशिश भी कोई सरकार नहीं कर सकी।
आयकर की छापेमारी में हुआ अरबों का खुलासा
27-28 नवम्बर 2014 को यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता और सहयोगियों की कम्पनियों पर पड़े आयकर विभाग के छापों के बाद भ्रष्टाचार का यह मामला सुर्खियों में आया था। आयकर छापों के बाद यादव सिंह, उनके रिश्तेदारों व सहयोगियों की कई फर्जी कम्पनियों व हजारों करोड़ की बेनामी सम्पत्तियों का पता चला था। इसके बाद से मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की जा रही थी।
आयकर विभाग की जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि यादव सिंह ने 2002 से 2014 तक अपने कार्यकाल में मनमाने तरीके से अपने लोगों को 8 हजार करोड़ के ठेके दिए और करोड़ों की संपत्तियां एकत्र कीं। यादव सिंह पर गलत तरीके से प्रमोशन पाकर जूनियर इंजीनियर से तीनों प्राधिकरणों के चीफ इंजीनियर पद तक पहुंचने और भ्रष्टाचार, प्लॉट आवंटन व फर्जी कंपनियां खड़ी कर हजारों करोड़ की संपत्तियां जुटाने के आरोप लगे थे।
समाजसेवी नूतन ठाकुर ने यादव सिंह मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए 16 जुलाई 2015 को हाईकोर्ट ने यादव सिंह और उसके करीबियों के खिलाफ सीबीआई जांच करने के आदेश दिए। इसके साथ ही प्राधिकरण द्वारा 2002 से 2014 तक जारी किए सभी ठेकों की भी जांच के आदेश दिए।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद 4 अगस्त 2015 को सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज कीं। एक में सिर्फ यादव सिंह को नामजद किया गया है, जबकि दूसरी एफआईआर में यादव सिंह के साथ उसकी पत्नी कुसुमलता, बेटे सनी सिंह, बेटी गरिमा भूषण तथा बिजनेस पार्टनर राजेंद्र मनोचा को भी नामजद किया गया है।
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