लखनऊ: समाजवादी पार्टी के भीतर चल रही कलह थमती नहीं दिखाई दे रही है। मुलायम खेमा सोमवार को चुनाव आयोग में पार्टी पर दावा ठोकने के लिए हलफनामा दाखिल करेगा। चुनाव आयोग में हलफनामा दाखिल करने की आखिरी तारीख 9 जनवरी है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर है सारी लड़ाई
सपा के सूत्र बता रहे हैं कि यह सारी लड़ाई राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर है। मुलायम अध्यक्ष पद से हटने को तैयार नहीं है जबकि अखिलेश विधानसभा चुनाव तक खुद अध्यक्ष पद चाहते हैं। मुलायम ने तीन माह के लिए अध्यक्ष पद सौंपने के अखिलेश के प्रस्ताव को सिरे से ठुकरा दिया है। वह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को छोड़कर अन्य सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार हैं।
पिता-पुत्र में इस तरह होगा समझौता
अखिलेश गुट के प्रमुख नेता और मुलायम सिंह के चचेरे भाई राम गोपाल यादव का कहना है कि पिता-पुत्र में समझौते की एक ही शर्त है कि मुलायम सिंह चुनाव आयोग में पेश दावा वापस लें। अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष मानें और उनके नेतृत्व में चुनाव का ऐलान करें। हम वादा करते हैं कि चुनाव के बाद मई माह में जो पार्टी अध्यक्ष का चुनाव तय है उसमें नेता जी को फिर पार्टी अध्यक्ष बनाया जाएगा।
सपा सुप्रीमों बोले, सपा का अध्यक्ष मैं और अखिलेश हैं मुख्यमंत्री
गौरतलब है कि इसे पहले समाजवादी पार्टी में मचे घामासान के बीच रविवार को पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कहा कि वह अभी भी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और एक गुट द्वारा पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में लिए गए फैसले फर्जी हैं। मुलायम ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव अभी भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
मुलायम ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री। सपा प्रमुख ने यह भी कहा कि पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को चूंकि छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है, इसलिए उनके पास पार्टी अधिवेशन बुलाने का कोई अधिकार नहीं था।
उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव के समर्थक गुट ने एक जनवरी को लखनऊ में बुलाए गए पार्टी अधिवेशन में मुलायम को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया था।
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