नई दिल्ली। नोट बंदी से चाहे जिसे परेशानी हुई हो लेकिन सरकार के खजाने में इफरात पैसा आया है। हर तरह के करों की वसूली में बृद्धि दर्ज की गई है।
वित्त मंत्री ने जारी किए आंकड़े
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को विभिन्न करों की उगाही का आंकड़ा जारी किए। इन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद करों की वसूली में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अभी तो यह एक अनुमान है, लेकिन बजट में सारे वास्तविक आंकड़े सामने रखे जाएंगे। जेटली ने कहा कि नवंबर महीने में राज्यों की वैट वसूली बढ़ी है। उन्होंने कहा कि दिसंबर महीने में सिर्फ कस्टम्स ड्यूटी की वसूली में 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई, वह भी इसलिए क्योंकि सोने का आयात प्रभावित हुआ जो कस्टम्स ड्यूटी का बड़ा स्रोत है। नोटबंदी का जीडीपी पर असर को लेकर पूछे गए सवाल पर जटेली ने कहा कि अभी जो करों के आंकड़े ही सामने आ पाए हैं, जब जीडीपी के आंकड़े आएंगे तो इस पर भी चर्चा होगी।
आंकड़ों पर नजर
अप्रैल-दिसंबर 2015 के मुकाबले अप्रैल-दिसंबर 2016 में
डायरेक्ट टैक्स की वसूली 12.01 प्रतिशत बढ़ी
इनडायरेक्ट टैक्स की वसूली 25 प्रतिशत बढ़ी
सर्विस टैक्स की वसूली 23.9 प्रतिशत बढ़ी
कस्टम्स ड्यूटी की वसूली 4.1 प्रतिशत बढ़ी
एक्साइज ड्यूटी की वसूली 43 प्रतिशत बढ़ी
दिसंबर 2015 के मुकाबले दिसंबर 2016 में
कस्टम्स ड्यूटी में 6% की कमी
सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी 31.6 प्रतिशत बढ़ी
सर्विस टैक्स 12.4 प्रतिशत की वसूली बढ़ी
कुल इनडायरेक्ट टैक्स 12.8 प्रतिशत बढ़ी।
मजदूरी का भुगतान नहीं कर पा रहे
हालांकि करीब 73 फीसदी कारोबारियों का कहना है कि नोटबंदी के बाद से नकदी की कमी के कारण वे संविदा कर्मियों की मजदूरी का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। यह जानकारी पीएचडी चैंबर द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में सामने आई है।
सर्वे के निष्कर्ष
दिसंबर में किए गए इस सर्वेक्षण में 50 से अधिक अर्थशास्त्री और विश्लेषक, 700 कंपनियां और 2,000 लोग शामिल हुए। इसके निष्कर्षों से पता चला कि कारोबार खंड में 73 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि नोटबंदी के बाद से ही वे नकदी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं और संविदा कर्मियों को दैनिक मजदूरी का भुगतान तक नहीं कर पा रहे हैं। इसे देखते हुए पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष गोपाल जिवाराजका ने गुजारिश की है कि नकदी आधारित क्षेत्रों जैसे निर्माण और छोटे और मध्यम उद्योगों (एसएमई) की नकदी सीमा में बढ़ोतरी की जाए ताकि वे अपने कर्मियों और संविदा कर्मियों को वेतन का भुगतान कर पाएं।
जरूरी सामान खरीदने में भी दिक्कत
नोटबंदी के असर के बारे में 92 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि लोगों को दैनिक जरूरत जैसे खानेपीने की चीजें, दुग्ध उत्पाद और अन्य जरूरी सामान खरीदने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। करीब 58 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में नकदी के कारण काफी परेशानी हो रही है, जबकि 89 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि बैंक और एटीएम पर पर्याप्त नकदी नहीं होना ही सबसे बड़ी बाधा है।
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