नई दिल्ली: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष पुत्रदा एकादशी का व्रत दो बार आ जाता है एक बार पौष माह की शुक्ल पक्ष को तो दूसरा श्रावण मास की शुक्ल पक्ष। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है| इस बार पुत्रदा एकादशी 8 जनवरी दिन रविवार को पड़ रही है।
पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि-
इस एकादशी के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। सुबह स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के पश्चात श्रीहरि का ध्यान करना चाहिए। सबसे पहले धूप दीप आदि से भगवान नारायण की पूजा अर्चना की जाती है, उसके बाद फल- फूल, नारियल, पान सुपारी लौंग, बेर आंवला आदि व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार भगवान नारायण को अर्पित करते हैं। पूरे दिन निराहार रहकर संध्या समय में कथा आदि सुनने के पश्चात फलाहार किया जाता है।
पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व-
इस व्रत के नाम के अनुसार ही इस व्रत का फल है। जिन व्यक्तियों के संतान होने में बाधाएं आती हैं उनके लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत ही शुभफलदायक होता है| इसलिए संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को व्यक्ति विशेष को अवश्य रखना चाहिए, जिससे उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति हो।
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