• भारत
  • राज्य
    • उत्तरप्रदेश
      • लखनऊ
      • कानपुर
      • गोरखपुर
      • इलाहाबाद
      • वाराणसी
    • उत्तराखण्ड
    • दिल्ली
    • महाराष्ट्र
  • विश्व
  • मनोरंजन
    • वीडियो
  • खेल
  • कारोबार
  • टेक-ज्ञान
  • लाइफस्टाइल
  • धर्म
    • राशिफल
इंडियन लेटर
  • भारत
  • राज्य
    • उत्तरप्रदेश
      • लखनऊ
      • कानपुर
      • गोरखपुर
      • इलाहाबाद
      • वाराणसी
    • उत्तराखण्ड
    • दिल्ली
    • महाराष्ट्र
  • विश्व
  • मनोरंजन
    • वीडियो
  • खेल
  • कारोबार
  • टेक-ज्ञान
  • लाइफस्टाइल
  • धर्म
    • राशिफल
  • Facebook

  • Twitter

  • Google+

  • RSS

धर्म

जानिए रुद्राक्ष का महत्व, उपयोगिता और असली-नकली की पहचान

जानिए रुद्राक्ष का महत्व, उपयोगिता और असली-नकली की पहचान
Vineet Verma
5 January 2017 7:41 PM

नई दिल्ली: रुद्राक्ष दो शब्दों के मेल से बना है पहला रूद्र का अर्थ होता है भगवान शिव और दूसरा अक्ष इसका अर्थ होता है आंसू। माना जाता है की रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से प्रकट हुई वह मोती स्वरूप बूँदें हैं जिसे ग्रहण करके समस्त प्रकृति में आलौकिक शक्ति प्रवाहित हुई तथा मानव के हृदय में पहुँचकर उसे जागृत करने में सहायक हो सकी।

रुद्राक्ष का मानवीय जीवन में महत्व-

रूद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है तथा हमारे धर्म एवं हमारी आस्था में रूद्राक्ष का उच्च स्थान है। रूद्राक्ष की महिमा का वर्णन शिवपुराण, रूद्रपुराण, लिंगपुराण श्रीमद्भागवत गीता में पूर्ण रूप से मिलता है। सभी जानते हैं कि रूद्राक्ष को भगवान शिव का पूर्ण प्रतिनिधित्व प्राप्त है।

रूद्राक्ष का उपयोग केवल धारण करने में ही नहीं होता है अपितु हम रूद्राक्ष के माध्यम से किसी भी प्रकार के रोग कुछ ही समय में पूर्णरूप से मुक्ति प्राप्त कर सकते है। ज्योतिष के आधार पर किसी भी ग्रह की शांति के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। असली रत्न अत्यधिक मंहगा होने के कारण हर व्यक्ति धारण नहीं कर सकता।

रूद्राक्ष धारण करने से जहां आपको ग्रहों से लाभ प्राप्त होगा वहीं आप शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे। ऊपरी हवाओं से भी सदैव मुक्त रहेंगे क्योंकि जो व्यक्ति कोई भी रूद्राक्ष धारण करता है उसे भूत पिशाच आदि की कभी भी कोई समस्या नहीं होती है। वह व्यक्ति बिना किसी भय के कहीं भी भ्रमण कर सकता हैं| रुद्राक्ष सिद्धिदायक, पापनाशक, पुण्यवर्धक, रोगनाशक, तथा मोक्ष प्रदान करने वाला है| शिव पुराण में कहा गया है कि रुद्राक्ष या इसकी भस्म को धारण करके ‘नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने वाला मनुष्य शिव रूप हो जाता है|

रुद्राक्ष से जुडी कथाएं-

वेदों, पुराणों एवं उपनिषदों में रुद्राक्ष की महिमा का विस्तार पूर्वक वर्णन प्राप्त होता है| एक कथा अनुसार देवर्षि नारद ने भगवान नारायण से रुद्राक्ष के विषय में जानना चाहा तो नारायण भगवान ने उनकी जिज्ञासा को दूर करने हेतु उन्हें एक कथा सुनाते हैं| वह बोले, हे देवर्षि नारद एक समय पूर्व त्रिपुर नामक पराक्रमी दैत्य ने पृथ्वी पर आतंक मचा रखा था तथा देवों को प्राजित करके तीनो लोकों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लेता है| दैत्य के इस विनाशकारी कृत्य से सभी त्राही त्राही करने लगते हैं|

ब्रह्मा, विष्णु और इन्द्र आदि देवता उससे मुक्ति प्राप्ति हेतु भगवान शिव की शरण में जाते हैं भगवान उनकी दारूण व्यथा को सुन उस दैत्य को हराने के लिए उससे युद्ध करते हैं त्रिपुर का वध करने के लिए भगवान शिव अपने नेत्र बंद करके अघोर अस्त्र का चिंतन करते हैं इस प्रकार दिव्य सहस्त्र वर्षों तक प्रभु ने अपने नेत्र बंद रखे अधिक समय तक नेत्र बंद रहने के कारण उनके नेत्रों से जल की कुछ बूंदें निकलकर पृथ्वी पर गिर गईं तथा उन अश्रु रूपी बूंदों से महारुद्राक्ष की उत्पत्ती हुई|

एक अन्य मान्यता अनुसार एक समय भगवान शिव हजारों वर्षों तक समाधि में लीन रहते हैं लंबे समय पश्चात जब भगवान भोलेनाथ अपनी तपस्या से जागते हैं, तब भगवान शिव की आखों से जल की कुछ बूँदें भूमि पर गिर पड़ती हैं| उन्हीं जल की बूँदों से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई|

इस प्रकार एक अन्य कथा अनुसार एक बार दक्ष प्रजापति ने जब एक महायज्ञ का आयोजन किया तो उसने अपनी पुत्री सती व अपने दामाद भगवान शंकर को नहीं बुलाया इस पर शिव के मना करने के बावजूद भी देवी सती उस यज्ञ में शामिल होने की इच्छा से वहाँ जाती हैं किंतु पिता द्वारा पति के अपमान को देखकर देवी सती उसी समय वहां उस यज्ञ की अग्नि में अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देती हैं| पत्नी सती की जली हुई देह को देख भगवान शिव के नेत्रों से अश्रु की धारा फूट पड़ती है| इस प्रकार भगवान शिव के आँसू जहाँ-जहाँ भी गिरे वहीं पर रूद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हो जाते हैं|

कहाँ पाए जाते हैं रुद्राक्ष-

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर यह रुद्राक्ष कहाँ पाए जाते हैं? आपको बता दें कि रुद्राक्ष के पेड़ भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं| भारत में रुद्राक्ष के पेड़ पहाड़ी और मैदानी दोनों इलाकों में पाया जाता है| रुद्राक्ष के पेड़ की लम्बाई 50 से लेकर 200 फिट तक होती है| इसके फूलों का रंग सफेद होता है तथा इस पर लगने वाला फल गोल आकार का होता है जिसके अंदर से गुठली रुप में रुद्राक्ष प्राप्त होता है|

रुद्राक्ष भारत, के हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त असम, मध्य प्रदेश, उतरांचल, अरूणांचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में यह रुद्राक्ष पाए जाते हैं| इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं| रामेश्वरम में भी रुद्राक्ष पाया जाता है यहां का रुद्राक्ष काजू की भांति होता है| गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्र में भी रुद्राक्ष मिलते हैं|

रुद्राक्ष के प्रकार-

आपको बता दें कि रुद्राक्ष एकमुखी से लेकर चौदह मुखी तक होते हैं| पुराणों में प्रत्येक रुद्राक्ष का अलग-अलग महत्व और उप‍योगिता उल्लेख किया गया है-

एकमुखी रुद्राक्ष- एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र स्वरूप है। इसे परब्रह्म माना जाता है। सत्य, चैतन्यस्वरूप परब्रह्म का प्रतीक है। साक्षात शिव स्वरूप ही है। इसे धारण करने से जीवन में किसी भी वस्तु का अभाव नहीं रहता। लक्ष्मी उसके घर में चिरस्थायी बनी रहती है। चित्त में प्रसन्नता, अनायास धनप्राप्ति, रोगमुक्ति तथा व्यक्तित्व में निखार और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

द्विमुखी रुद्राक्ष- शास्त्रों में दोमुखी रुद्राक्ष को अर्द्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है। शिवभक्तों को यह रुद्राक्ष धारण करना अनुकूल है। यह तामसी वृत्तियों के परिहार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। इसे धारण करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। चित्त में एकाग्रता तथा जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि होती है। व्यापार में सफलता प्राप्त होती है। स्त्रियों के लिए इसे सबसे उपयुक्त माना गया है|

तीनमुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष ‍अग्निस्वरूप माना गया है। सत्व, रज और तम- इन तीनों यानी त्रिगुणात्मक शक्तियों का स्वरूप यह भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान देने वाला है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का दमन होता है और रचनात्मक प्रवृत्तियों का उदय होता है। किसी भी प्रकार की बीमारी, कमजोरी नहीं रहती। व्यक्ति क्रियाशील रहता है। यदि किसी की नौकरी नहीं लग रही हो, बेकार हो तो इसके धारण करने से निश्चय ही कार्यसिद्धी होती है।

चतुर्मुखी रुद्राक्ष- चतुर्मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म का प्रतिनिधि है। यह शिक्षा में सफलता देता है। जिसकी बुद्धि मंद हो, वाक् शक्ति कमजोर हो तथा स्मरण शक्ति मंद हो उसके लिए यह रुद्राक्ष कल्पतरु के समान है। इसके धारण करने से शिक्षा आदि में असाधारण सफलता मिलती है।

पंचमुखी रुद्राक्ष- पंचमुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रतिनिधि माना गया है। यह कालाग्नि के नाम से जाना जाता है। शत्रुनाश के लिए पूर्णतया फलदायी है। इसके धारण करने पर साँप-बिच्छू आदि जहरीले जानवरों का डर नहीं रहता। मानसिक शांति और प्रफुल्लता के लिए भी इसका उपयोग किया होता है।

षष्ठमुखी रुदाक्ष- यह षडानन कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण करने से खोई हुई शक्तियाँ जागृत होती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल तथा बुद्धि तीव्र होती है। कार्यों में पूर्ण तथा व्यापार में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त होती है।

सप्तमुखी रुद्राक्ष- सप्तमुखी रुद्राक्ष को सप्तमातृका तथा ऋषियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह अत्यंत उपयोगी तथा लाभप्रद रुद्राक्ष है। धन-संपत्ति, कीर्ति और विजय प्रदान करने वाला होता है साथ ही कार्य, व्यापार आदि में बढ़ोतरी कराने वाला है।

अष्टमुखी रुद्राक्ष- अष्टमुखी रुद्राक्ष को अष्टदेवियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह ज्ञानप्राप्ति, चित्त में एकाग्रता में उपयोगी तथा मुकदमे में विजय प्रदान करने वाला है। धारक की दुर्घटनाओं तथा प्रबल शत्रुओं से रक्षा करता है। इस रुद्राक्ष को विनायक का स्वरूप भी माना जाता है। यह व्यापार में सफलता और उन्नतिकारक है।

नवममुखी रुद्राक्ष- नवमुखी रुद्राक्ष को नवशक्ति का प्रति‍‍निधि माना गया है| इसके अलावा इसे नवदुर्गा, नवनाथ, नवग्रह का भी प्रतीक भी माना जाता है। यह धारक को नई-नई शक्तियाँ प्रदान करने वाला तथा सुख-शांति में सहायक होकर व्यापार में वृद्धि कराने वाला होता है। इसे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। इसके धारक की अकालमृत्यु नहीं होती तथा आकस्मिक दुर्घटना का भी भय नहीं रहता।

दशममुखी रुद्राक्ष- दशमुखी रुद्राक्ष दस दिशाएँ, दस दिक्पाल का प्रतीक है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को लोक सम्मान, कीर्ति, विभूति और धन की प्राप्ति होती है। धारक की सभी लौकिक-पारलौकिक कामनाएँ पूर्ण होती हैं।

एकादशमुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष रूद्र का प्रतीक माना जाता है| इस रुद्राक्ष को धारण करने से किसी चीज का अभाव नहीं रहता तथा सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं। यह रुद्राक्ष भी स्त्रियों के लिए काफी फायदेमं रहता है| इसके बारे में यह मान्यता है कि जिस स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति न हो रही हो तो इस रुद्राक्ष के धारण करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है|

द्वादशमुखी रुद्राक्ष- यह द्वादश आदित्य का स्वरूप माना जाता है। सूर्य स्वरूप होने से धारक को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है। सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।

त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष – यह रुद्राक्ष साक्षात विश्वेश्वर भगवान का स्वरूप है यह। सभी प्रकार के अर्थ एवं सिद्धियों की पूर्ति करता है। यश-कीर्ति की प्राप्ति में सहायक, मान-प्रतिष्ठा बढ़ाने परम उपयोगी तथा कामदेव का भी प्रतीक होने से शारीरिक सुंदरता बनाए रख पूर्ण पुरुष बनाता है। लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है।

चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष- इस रुद्राक्ष के बारे में यह मान्यता है कि यह साक्षात त्रिपुरारी का स्वरूप है। चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ, रोगमुक्ति और शारीरिक तथा मानसिक-व्यापारिक उन्नति में सहायक होता है। इसमें हनुमानजी की शक्ति निहित है। धारण करने पर आध्यात्मिक तथा भौतिक सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

अन्य रुद्राक्ष-

गणेश रुद्राक्ष- एक मुखी से लेकर चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष के बाद भी कुछ अन्य रुद्राक्ष होते हैं जैसे गणेश रुद्राक्ष| गणेश रुद्राक्ष की पहचान है उस पर प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष पर एक उभरी हुई सुंडाकृति बनी रहती है। यह अत्यंत दुर्लभ तथा शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह गणेशजी की शक्ति तथा सायुज्यता का द्योतक है। धारण करने वाले को यह बुद्धि, रिद्धी-सिद्धी प्रदान कर व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति कराता है। विद्यार्थियों के चित्त में एकाग्रता बढ़ाकर सफलता प्रदान करने में सक्षम होता है। यहाँ रुद्राक्ष आपकी विघ्न-बाधाओं से रक्षा करता है|

गौरीशंकर रुद्राक्ष- यह शिव और शक्ति का मिश्रित स्वरूप माना जाता है। उभयात्मक शिव और शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। यह आर्थिक दृष्टि से विशेष सफलता दिलाता है। पारिवारिक सामंजस्य, आकर्षण, मंगलकामनाओं की सिद्धी में सहायक है।

शेषनाग रुद्राक्ष- जिस रुद्राक्ष की पूँछ पर उभरी हुई फनाकृति हो और वह प्राकृतिक रूप से बनी रहती है, उसे शेषनाग रुद्राक्ष कहते हैं। यह अत्यंत ही दुर्लभ रुद्राक्ष है। यह धारक की निरंतर प्रगति कराता है। धन-धान्य, शारीरिक और मानसिक उन्नति में सहायक सिद्ध होता है।

असली रुद्राक्ष की पहचान-

शास्त्रों में कहा गया है की जो भक्त रुद्राक्ष धारण करते हैं भगवान भोलेनाथ उनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं| लेकिन सवाल यह उठता है अक्सर लोगों को रुद्राक्ष की असली माला नहीं मिल पाती है जिससे भगवान शिव की आराधना में खासा प्रभाव नहीं पड़ता है आज हम आपको रुद्राक्ष के बारे में कुछ जानकारियां देने जा रहे हैं जिसके द्वारा आप असली और नकली की पहचान कर सकते है-

रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा| इसके आलावा आप रुद्राक्ष को पानी में डाल दें अगर वह डूब जाता है तो असली नहीं नहीं नकली| लेकिन यह जांच अच्छी नहीं मानी जाती है क्योंकि रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या पके होने पर निर्भर करती है और रुद्राक्ष मेटल या किसी अन्य भारी चीज से भी बना रुद्राक्ष भी पानी में डूब जाता है|

सरसों के तेल मे डालने पर रुद्राक्ष अपने रंग से गहरा दिखे तो समझो वो एक दम असली है|

Related Itemsअसली रुद्राक्ष की पहचानएकमुखी रुद्राक्षरुद्राक्षशिव
धर्म
5 January 2017 7:41 PM
Vineet Verma @vineetverma100

Related Itemsअसली रुद्राक्ष की पहचानएकमुखी रुद्राक्षरुद्राक्षशिव

More in धर्म

  • Read More
    चंद्रायण व्रत से सभी पापों का होता है प्रायश्चित, चंद्रमा का बढता है प्रभाव

    ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक का ग्रह है. इसे ग्रहों में माता का दर्जा...

    IndianLetter Web_Wing 7 May 2021 10:44 AM
  • Read More
    7 मई का राशिफल:- जानिए कैसा रहेगा आज आपका दिन, पढ़े अपने राशिफल

    आज के समय में राशिफल देखकर लोग अपने दिन की शुरुआत करते हैं। ऐसे में आज हम...

    IndianLetter Web_Wing 7 May 2021 6:40 AM
  • Read More
    इस दिन है अक्षय तृतीया, जानिए आखिर क्यों सोना खरीदना होता है शुभ

    हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन कई शुभ कार्य...

    IndianLetter Web_Wing 6 May 2021 10:10 AM
  • Read More
    6 मई का राशिफल: जानिए कैसे रहेगा आज आपका दिन, पढ़िए अपना राशिफल

    आज के समय में लोग राशिफल देखते हैं और अपने दिन की शुरुआत करते हैं, ऐसे में...

    IndianLetter Web_Wing 6 May 2021 9:40 AM
  • Read More
    वरुथिनी एकादशी व्रत की पूजा, पारण, महत्व और कथा

    माह में 2 एकादशियां होती हैं और वर्ष में 365 दिनों में मात्र 24 एकादशियां होती हैं।...

    IndianLetter Web_Wing 5 May 2021 11:59 AM
  • Read More
    7 मई को जरूर अपनाएं ये उपाय, घर में नहीं आएगी कभी कोई अड़चन

    धार्मिक दृष्टि से एकादशी व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। महाभारत काल में स्वयं प्रभु श्री श्रीकृष्ण...

    IndianLetter Web_Wing 5 May 2021 11:25 AM
  • Read More
    जानिए कब है अक्षय तृतीया, और इस दिन क्यों खरीदना शुभ होता है सोना

    हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन कई शुभ कार्य...

    IndianLetter Web_Wing 5 May 2021 10:47 AM
  • Read More
    5 मई 2021 राशिफल :- जानिए आज का दिन कैसा होगा आपके लिए

    आज के समय में ऐसा कोई भी नहीं है जो अपने दिन की शुरुआत एक अच्छी सुबह...

    IndianLetter Web_Wing 5 May 2021 8:00 AM
  • Read More
    घर परिवार को बीमारियों से दूर रखने के लिए करें ये उपाय

    इस समय देश में कोरोना महामारी तेजी से फ़ैल रही है. लोगों द्वरा सरकार की गाइडलाइन्स का...

    IndianLetter Web_Wing 4 May 2021 9:17 AM
Scroll for more
Tap

Latest News

  • सरफ़राज़ सैफ़ी बने न्यूज़ इंडिया के एडिटर इन चीफ़, लॉन्चिंग की तैयारी पूरी
    उत्तरप्रदेश7 October 2021 5:18 PM
  • इन्ही बिजली अफसरों ने पहले पीएफ डुबोया, अब चुनाव से पहले यूपी की बिजली राजस्व प्रणाली चौपट करने की साज़िश
    उत्तरप्रदेश6 September 2021 1:40 PM
  • अरबों के नए बिजली घोटाले की तरफ बढ़ रहा पावर कार्पोरेशन
    उत्तरप्रदेश6 September 2021 1:33 PM
  • ओटीटी प्लेटफार्म ‘उल्लू’ से ठगी करने वाली जालसाज हिना की जमानत याचिका खारिज
    अपराध27 August 2021 3:13 PM
  • उत्तर प्रदेश में माफियाओं का सफाया जारी, अवैध संपत्ति ध्वस्त कर रिकवरी में जुटी योगी सरकार
    उत्तरप्रदेश7 August 2021 10:52 PM

Entertainment

  • बॉलीवुड में दौड़ी शोक की लहार, इस मशहूर संगीत निर्देशक का हुआ निधन
    मनोरंजन7 May 2021 12:50 PM
  • पाकिस्तानी सिंगर एक्टर अली जफर ने वीडियो मैसेज में भारत के लोगों के लिए मांगी दुआ, सोशल मीडिया किया शेयर
    मनोरंजन6 May 2021 12:29 PM
  • कोरोना से पीड़ित 22 लोगों की सोनू सूद ने बचाई जान, ऐसे किया ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम
    मनोरंजन5 May 2021 3:59 PM
  • डीप नेक ब्लू गाउन पहनकर मोनालिसा ने उड़ाए सबके होश, देंखे ये खूबसूरत तस्वीरें
    मनोरंजन4 May 2021 12:57 PM

Dharm

  • चंद्रायण व्रत से सभी पापों का होता है प्रायश्चित, चंद्रमा का बढता है प्रभाव
    धर्म7 May 2021 10:44 AM
  • 7 मई का राशिफल:- जानिए कैसा रहेगा आज आपका दिन, पढ़े अपने राशिफल
    राशिफल7 May 2021 6:40 AM
  • इस दिन है अक्षय तृतीया, जानिए आखिर क्यों सोना खरीदना होता है शुभ
    धर्म6 May 2021 10:10 AM
  • 6 मई का राशिफल: जानिए कैसे रहेगा आज आपका दिन, पढ़िए अपना राशिफल
    राशिफल6 May 2021 9:40 AM

Uttar Pradesh

  • सरफ़राज़ सैफ़ी बने न्यूज़ इंडिया के एडिटर इन चीफ़, लॉन्चिंग की तैयारी पूरी
    उत्तरप्रदेश7 October 2021 5:18 PM
  • इन्ही बिजली अफसरों ने पहले पीएफ डुबोया, अब चुनाव से पहले यूपी की बिजली राजस्व प्रणाली चौपट करने की साज़िश
    उत्तरप्रदेश6 September 2021 1:40 PM
  • अरबों के नए बिजली घोटाले की तरफ बढ़ रहा पावर कार्पोरेशन
    उत्तरप्रदेश6 September 2021 1:33 PM
  • उत्तर प्रदेश में माफियाओं का सफाया जारी, अवैध संपत्ति ध्वस्त कर रिकवरी में जुटी योगी सरकार
    उत्तरप्रदेश7 August 2021 10:52 PM
इंडियन लेटर

Advertisement

Join us at Facebook

Follow us at Twitter

Tweets by theindianletter

Copyright © 2020 Indian Letter | Website Developed by - Prabhat Media Creations