उद्योग मंडल सीआईआई ने रविवार को कहा कि नोटबंदी से आगामी वित्त वर्ष 2017-18 के लिए केंद्र सरकार के बजट में कॉर्पोरेट सेक्टर के आयकर में कटौती की राह तैयार हुई है। सीआईआई ने रविवार को नोटबंदी के बाद 500 और 1,000 रुपये के पुराने अमान्य करार दे दिए गए नोटों को बैंक में जमा करने की अंतिम समयसीमा समाप्त होने के बाद एक वक्तव्य जारी कर ये बातें कहीं। संगठन को उम्मीद है कि कर्पोरेट कर में कमी की मांग पूरी हो सकती है।
सीआईआई की मांग
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से को आयकर के दायरे में लाने के बाद सरकार कॉर्पोरेट सेक्टर की आयकर कम करने की स्थिति में आ गई है। आगामी बजट 2017-18 के लिए उद्योग संगठन ने सरकारसे सिफारिश कि है कि अतिरिक्त करों एवं अधिभार (सेस) सहित कॉर्पोरेट आयकर घटाकर 18 फीसदी तक लाई जाए। इसके अलावा सभी तरह के प्रोत्साहन करों एवं छूटों को भी हटाने की मांग उद्योग संगठन ने की है।
सभी करों को एक किया जाए
उन्होंने कहा कि अनुभव के आधार पर देखा जाए तो कर की दर कम हो तो अधिक से अधिक लोग कर चुकाते हैं। हमारा मानना है कि कॉर्पोरेट आयकर कम करके 18 फीसदी करने और कर में मिली हर तरह की छूट खत्म करने से इसका सरकार को मिलने वाले राजस्व पर नकारात्मक असर नहीं होगा।
सरकार की मजबूरी
सरकार की मजबूरी है कि वह जैसे उद्योग संगठनों की मांग पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देती है तो उस पर पक्षपात का आरोप लगने लगता है। ऐसे में सरकार कई बार चाह कर भी कई जरूरी मांगों पर विचार नहीं कर पाती है। लेकिन इस बार उद्योग संगठनों को भरोसा है कि एक मजबूत सरकार केन्द्र में है। अगर इसे सही बात समझाई जाए तो बात बन सकती है। इसी लिए वह उम्मीद कर रहे हैं कि इस बजट में उद्योग संगठनों की कुछ मुराद पूरी हो सकती है।
नोट बंदी उद्योग जगत के लिए ला सकती है सौगात

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