मुंबई। नए साल के जश्न में डूबे देश में शेयर बाजार भी लोगों की खुशियों को बढ़ा सकता है। जानकारों का मानना है कि अगर सही शेयर का चयन किया जाए तो अच्छा लाभ कमाना कठिन नहीं है। लेकिन यह रणनीति तो अगर निवेश कम से कम एक साल के लिए करना हो तो जरूरत पड़ेगी, लेकिन 2 जनवरी से शुरू हो रहे हफ्ते में बाजार कैसा रह सकता है यह जानना डे टै्रडर्स के लिए फायदेमंद रह सकता है।
शेयर बाजार में आंकड़ों का हफ्ता
शेयर बाजार में अगले सप्ताह प्रमुख आर्थिक आंकड़ों, वैश्विक बाजारों के रुझान, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के निवेश, डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों पर निवेशकों की नजर रहेगी। विश्व के सर्वाधिक प्रभावशाली कारोबारी सर्वेक्षणों में से एक मार्किट इकोनॉमिक्स दो जनवरी यानी सोमवार को दिसंबर माह के लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि से जुड़े अनुमान जारी करेगा। इस दौरान सरकारी तेल कंपनियों और वाहन कंपनियों के शेयरों पर निवेशकों की नजर रहेगी।
कच्चे तेल की कीमतें महत्वपूर्ण
दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार के रुझानों के अनुरूप हर महीने तेल कीमतों की समीक्षा की जाती है। इस दौरान विमानन कंपनियों के शेयर भी चर्चा का विषय रहेंगे। जेट ईंधन की कीमतें प्रत्यक्ष रूप से कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नववर्ष की पूर्व संध्या यानी 31 दिसंबर को देश को संबोधित किया। उनके संबोधन का दो जनवरी को बाजार खुलने पर असर क्या होगा, निवेशकों का रुझान इस पर भी रहेगा।
नोट बंदी का कितना असर
प्रधानमंत्री मोदी सरकार ने आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया था और इससे होने वाली अव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जनता से 30 दिसंबर तक का समय मांगा था, लेकिन यह अवधि निकल जाने के बाद अगले सप्ताह शेयर बाजार पर इसका क्या असर रहेगा, यह देखना भी दिलचस्प होगा।
दुनिया पर नजर
वैश्विक मोर्चे पर मार्किट इकोनॉमिक्स दिसंबर माह के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के आकंड़ें जारी करेंगे। तीन जनवरी को अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई और कैक्सिन चाइना जनरल मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़ें भी जारी किए जाएंगे। अमेरिकी शेयर बाजार सहित विश्व के कई अन्य शेयर बाजार भी दो जनवरी यानी सोमवार को नववर्ष के उपलक्ष्य में बंद रहेंगे। फेडरल ओपन समिति चार जनवरी को बैठक के मिनट्स जारी करेगी, जिसका घरेलू बाजार पर असर देखना दिलचस्प होगा। इसी से घरेलू बाजार में विदेशी निवेश की दिशा तय होगी।
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