नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के आरोपी सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला की नियुक्तियों से नाराज खेल मंत्रालय ने शुक्रवार को भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) की मान्यता रद्द कर दी। मंत्रालय ने दोनों दागी नेताओं को भारतीय ओलम्पिक संघ का आजीवन मानद अध्यक्ष चुने जाने पार कारण बताओ नोटिस जारी कर भारतीय ओलम्पिक संघ से जवाब तलब किया था, लेकिन आईओए से मिले जवाब से असंतुष्टि जाहिर करते हुए मंत्रालय ने संघ की मान्यता रद्द कर दी।
आईओए को सरकार से मिलने वाले विशेषाधिकार हासिल नहीं कर सकेगा
इस निलंबन के साथ ही भारतीय ओलम्पिक संघ को राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (एनओसी) के तौर पर सरकार से मिलने वाले विशेषाधिकार एवं सुविधाएं हासिल नहीं कर सकेगा। इस फैसले से आईओए को सरकार से मिलने वाली वित्तीय मदद के अलावा अन्य मदद भी बंद हो जाएंगी। खेल मंत्री विजय गोयल ने एक बयान जारी कर कहा, “सरकार ने भारतीय ओलम्पिक संघ की मान्यता तब तक के लिए रद्द कर दी है जब तक वह सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को आजीवन मानद अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले को वापस नहीं ले लेता।”
भारतीय ओलम्पिक संघ ने मंगलवार को वार्षिक आम बैठक में कलमाड़ी और चौटाला को सर्वसम्मति से आजीवन मानद अध्यक्ष चुना था। इस फैसले पर खेल मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी और आईओए को कारण बताओ नोटिस भेजा था। बयान में कहा गया है, “आईओए को शुक्रवार पांच बजे तक नोटिस का जवाब देना था। उनसे मिले पत्र में आईओए ने हमसे नोटिस का जवाब देने के लिए 15 जनवरी तक का समय मांगा है। उन्होंने कहा है कि आईओए के अध्यक्ष देश से बाहर हैं और उन्हें अपने अध्यक्ष से बात करने की जरूरत है।”
बयान में कहा गया है, “सरकार उनके जवाब से संतुष्ट नहीं है क्योंकि उनकी तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है। सरकार ने आईओए के जवाब को सिर्फ समय बर्बाद करने वाला पाया है।” बयान में लिखा गया है, “यह भारतीय ओलम्पिक संघ द्वारा सुप्रशासन के नियमों का उल्लंघन है जो खेल संस्थाओं में प्रमुख है। इसके खिलाफ तुरंत ही जरूरी कदम उठाए जाएंगे क्योंकि यह राष्ट्र की गरिमा और आम जनता की भावना का सवाल है।”
मंत्रालय ने कहा है, “सरकार ओलम्पिक कार्यक्रम का बेहद सम्मान करती है और खेल की स्वायत्तता को बचाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वह आईओए द्वारा नियमों के उल्लंघन पर चुप्पी नहीं साध सकती।” बयान में कहा गया है, “इसलिए यह फैसला लिया गया है कि हम भारतीय ओलम्पिक संघ को सरकार द्वारा दी गई मान्यता तब तक रद्द करते हैं जब तक भारतीय ओलम्पिक संघ इसको लेकर जरूरी कदम नहीं उठाता।”
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