लखनऊ: कुछ दिन पहले ही सपा संग्राम गर्म हुआ था जिसमे चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव की खटास फूट कर राज्य और देश के सामने आई थी और फिर एक बार सामने आ गयी है.
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चुनाव में टिकट वितरण पर शुरू हुयी लड़ाई ने अब उत्तर प्रदेश को थाम कर रख दिया है. पूरे देश की, राजनीतिक पार्टियों की और उत्तर प्रदेश की जनता की नज़र समाजवादी पार्टी पर ही टिकी हुई है.
रामगोपाल यादव ने अखिलेश को खुला समर्थन दिया और कहा की जो अखिलेश के खिलाफ जायेगा वो उनके खिलाफ जायेगा. समर्थन आगे बढ़ाते हुए रामगोपाल ने समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय बैठक बुलाई जो की पार्टी की हाई कमान को रास नहीं आई और रामगोपाल यादव को लाइव प्रेस कांफ्रेंस में मुलायम सिंह ने पार्टी से निष्कासित किया.
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मुलायम सिंह यादव ने जब अपनी मन मर्ज़ी चलते हुए 28 दिसंबर 2016 को समाजवादी पार्टी के 325 प्रत्याशियों की सूची जारी करी तो वो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रास नहीं आई.
साफ़ छवि के नेता अखिलेश यादव विवादित प्रत्याशियों को टिकेट देने से बचना चाहते थे और मुलायम सिंह ने माफिया डॉन अतीक अहमद जैसे लोगों को अखिलेश के चहीतों का टिकट काटते हुए प्रत्याशी बनाया.
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नाराज़ अखिलेश ने इसके बाद अपने 235 प्रत्याशियों की लिस्ट निकाली जिसके पश्चात चाचा शिवपाल यादव ने 1 घंटे के भीतर ही 68 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी.
अखिलेश से बगावत की बू आते ही मुलायम सिंह यादव ने उन्हें अनुशासनहीनता का नोटिस जारी किया और उसके बाद, 30 दिसंबर की प्रेस कांफ्रेंस में रामगोपाल यादव सहित अखिलेश यादव को भी 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया.
अब क्या करेंगे अखिलेश यादव?
अखिलेश यादव के अगले कदम पर जानकारों की अपनी अपनी राय है.
पढ़ें – क्या होगा जानकारों के मुताबिक अखिलेश यादव का अगला कदम?
इंडियन लेटर के सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव को ऐसी होनी का अंदाजा था. अतः उन्होंने अपनी अलग नयी पार्टी बना कर चुनाव लड़ने का फैसला किया हुआ है.
ऐसा करना अखिलेश यादव के हित में साबित भी हो सकता है. अकेले चुनाव लड़ने से अखिलेश यादव के अधिकार और फैसले सुरक्षित होंगे. निष्कासित होने के बाद अखिलेश को संवेदना के मत काफी मिल सकते हैं.
अगर अखिलेश ऐसा करते हैं और बहुमत बनाने में विफल होते हैं तो वो कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार भी बना सकते हैं. आपको बता दें की राहुल गाँधी ने सपा संग्राम 1 में अखिलेश यादव को अच्छा बच्चा बुलाया था.
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