लखनऊ। समाजवादी परिवार में चल घमासान का सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को हो सकता है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से मना कर दिया है। बता दें कि पिता मुलायम के फैसले से सीएम अखिलेश यादव भी खुश नहीं हैं। टिकट बंटवारे में अनदेखी किए जाने से न सिर्फ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बल्कि कांग्रेस की उम्मीदों को भी जोरदार झटका लगा है।
कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर मुलायम का इंकार
समाजवादी कुनबे में चल रही इस तनातनी के बीच कांग्रेस की उम्मीदें इस बात पर टिकी हैं कि सीएम अखिलेश यादव अपने पिता के खिलाफ बगावत करते हुए अपनी नई पार्टी बनाकर कांग्रेस से गठबंधन करते हैं या नहीं। बुधवार को कांग्रेस दिनभर ऐसे किसी घटनाक्रम का बेसब्री से इंतजार करती रही। गुरुवार को भी पार्टी की नजर अखिलेश के अगले कदम पर रहेगी। पूरे तामझाम के साथ यूपी चुनाव लड़ने का इरादा लेकर उतरी कांग्रेस को जमीनी हालात के मद्देनजर बीते दिनों अपनी रणनीति में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा।
कांग्रेस इस वक्त समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने के लिए लालायित है, बशर्ते समाजवादी पार्टी उसके लिए 403 में से 80-100 सीटें छोड़ने को राजी हो जाए। कांग्रेस को उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन के जरिए वह पांच साल पहले का प्रदर्शन दोहरा सकती है। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि अगर उसका गठबंधन ‘सेक्युलर’ समाजवादी पार्टी से होता है, तो वह अपने ‘मिशन यूपी’ से समझौता करने को यह कह कर जस्टिफाई कर सकती है कि उसे सेक्युलरिज्म कायम रखने के बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह ‘त्याग’ करना पड़ा।
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