वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की दो व तीन दिसंबर को हुई दो दिवसीय बैठक प्रशासनिक नियंत्रण के मुद्दे पर कोई भी हल निकालने में नाकाम रही थी। यही वजह है कि काउंसिल ने अगली बैठक 11 और 12 दिसंबर को बुलायी है। असल में राय सरकारें डेढ़ करोड़ रुपये से कम सालाना कारोबार वाले करदाताओं को अपने अधिकार क्षेत्र में रखना चाहती हैं जबकि केंद्र इसके लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि करदाताओं के हॉरीजेंटल और वर्टिकल वितरण पर सहमति न बन पाने के कारण जीएसटी काउंसिल अब हाईब्रिड मॉडल पर विचार कर रही है।
सूत्रों ने कहा कि हाईब्रिड मॉडल के तहत करदाताओं को यह छूट दी जाएगी कि वह केंद्र या राय के पास पंजीकरण कराये। करदाता की इछा के अनुसार प्रशासनिक नियंत्रण तय हो। इसके अलावा एक विकल्प यह भी है कि जीएसटी लागू होने पर जिन पांच प्रतिशत करदाताओं की स्क्रूटनी होनी है उनमें से 40 प्रतिशत करदाताओं की स्क्रूटनी केंद्र सरकार करें और शेष 60 फीसद करदाताओं की स्क्रूटनी का अधिकार रायों को दिया जाए। ऐसा होने पर केंद्र और रायों को छोटे और बड़े सभी तरह के करदाता मिल सकेंगे।
सूत्रों ने कहा कि इस नए फॉर्मूले पर विचार चल रहा है। माना जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल की 11 और 12 दिसंबर को होने वाली बैठक में इस पर विचार विमर्श किया जाए। उल्लेखनीय है कि सरकार ने एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। अभी तक न तो जीएसटी करदाताओं के प्रशासनिक नियंत्रण के मुद्दे पर केंद्र और रायों के बीच कोई सहमति बनी है और न ही जीएसटी के तीनों विधेयकों- सीजीएसटी, एसजीएसटी और आइजीएसटी के मसौदे को जीएसटी काउंसिल ने मंजूरी दी है। क्षतिपूर्ति विधेयक के मसौदे पर भी जीएसटी काउंसिल ने मुहर नहीं लगायी है। ऐसे में एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने के लिए यह जरूरी है कि ये विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पारित हो जाएं। संसद का मौजूदा सत्र 16 दिसंबर तक है। इसलिए 11 और 12 दिसंबर को अगर मंजूरी मिल भी जाती है तो भी इन्हें पारित करने के लिए बेहद कम समय होगा।
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