कोलकाता: कुछ साल पहले कोलकाता में एक प्रोफेसर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में एक कार्टून को ईमेल के ज़रिये फॉरवर्ड करने पर जेल में डाल दिया गया था, और अब 21-वर्षीय एक छात्रा मिलते-जुलते कारण से मुसीबत में है. दरअसल इस छात्रा ने शुक्रवार को सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर मुख्यमंत्री की आलोचना की थी, और रविवार को उसकी पोस्ट बहुत बड़े होर्डिंग की शक्ल में सड़क किनारे लगी हुई दिखी.
कलकत्ता यूनिवर्सिटी में स्नातकोत्तर की छात्रा अब बेहद डरी हुई है. सड़क किनारे लगे इस होर्डिंग के अलावा उसे तृणमूल कांग्रेस से जुड़ी स्थानीय महिलाओं की ओर से धमकियां भी मिल रही हैं.
इस होर्डिंग को लगाने वाली दमदम वॉर्ड 8 सिटिज़न्स कमेटी का मानना है कि अगर लोकतंत्र में इस लड़की को मुख्यमंत्री की आलोचना करने का अधिकार है, तो अन्य लोगों को भी इसी लोकतंत्र के चलते उसे सार्वजनिक रूप से लताड़ने का हक है.
होर्डिंग में कहा गया है, “हम मुख्यमंत्री की आलोचना की निंदा करते हैं…”
कलकत्ता यूनिवर्सिटी की इस छात्रा को देवी दुर्गा की मूर्तियों का जुलूस निकाले जाने पर नाराज़गी थी, जिसकी अगवानी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को खुद की थी, और इसे ‘रियो कार्निवाल को कोलकाता का जवाब’ के रूप में प्रचारित किया गया था.
छात्रा का मानना था कि यह यात्रा का सही समय नहीं है, क्योंकि इस वक्त राज्य बेरोज़गारी और गरीबी की समस्याओं से जूझ रहा है. उसके कुछ मित्रों ने छात्रा से सहमति जताई, लेकिन कुछ इससे सहमत नहीं थे.
बहरहाल, इस बात का पता नहीं चल पाया है कि होर्डिंग लगाने वाली सिटिज़न्स कमेटी ने छात्रा के फेसबुक पेज तक पहुंच कैसे बनाई.
स्थानीय निवासी दीपदास छात्रा के विचारों से कतई सहमत नहीं हैं. उन्होंने पलटकर सवाल किया, “21-वर्षीय लड़की यह सब कैसे कह सकती है… खासतौर से तब, जब मुख्यमंत्री राज्य के लिए इतना कुछ कर रही हैं…”
तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय पार्षद अविजित मित्रा ने कहा, छात्रा के पोस्ट की एक लाइन, जहां वह कहती है कि मुख्यमंत्री को नदी में डुबकी लगवाई जानी चाहिए, काफी अपमानजनक है, और इसी लाइन की वजह से मामले ने तूल पकड़ लिया.
मित्रा ने यह भी कहा, “यह होर्डिंग मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम या माकपा) का प्रचार है… यह लड़की उन्हीं की छात्र शाखा एसएफआई (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) की सदस्य है… और वे इस मुद्दे से राजनैतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं… मैं उस होर्डिंग को तब तक नहीं हटवाऊंगा, जब तक स्थानीय लोग लिखित में मुझसे ऐसा करने का अनुरोध नहीं करते, वरना वे कहेंगे, मैंने ही उसे लगवाया था…”
खैर, इसके बावजूद कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो छात्रा से सहमत दिखे. स्थानीय निवासी पार्थसारथी ने होर्डिंग के पास से गुज़रते हुए कहा, “हर एक को सोचने और अपनी बात कहने का हक है… यह होर्डिंग सही नहीं है…”
इससे पहले, वर्ष 2012 में भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्टून को ईमेल करने पर एक प्रोफेसर को गिरफ्तार किए जाने पर जनता में गुस्सा उमड़ा था, और अब 2016 में गिरफ्तारी भले ही नहीं हुई है, लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री की आलोचना करने पर किसी को भी सार्वजनिक रूप से बदतमीज़ी का शिकार होने के लिए तैयार रहना चाहिए.
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