नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर, जीएसटी लागू करने के लिए सरकार ने भले ही रायों के साथ राजनीतिक सहमति बना ली हो, लेकिन इसका क्रियान्वयन करने वाली नौकरशाही में छिड़ी अधिकारों की तकरार एक अप्रैल 2017 से इसे लागू करने की तैयारियां पटरी से उतार सकती है। अधिकारों को लेकर नौकरशाही का झगड़ा सड़कों पर आ गया है। देशभर से आए कॉमर्शियल टैक्स अधिकारियों ने सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। अगर नौकरशाही की यह रार जल्द नहीं सुलझी तो जीएसटी को एक अप्रैल 2017 से लागू करना मुश्किल साबित हो सकता है।
वाणिज्य कर संघों के अखिल भारतीय महासंघ (एआइसीसीटीए) के बैनर तले जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने पहुंचे रायों के कॉमर्शियल टैक्स अधिकारियों ने अपनी चार सूत्रीय मांगों पर प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा है। रायों के अधिकारियों की मांगों के बारे में उत्तर प्रदेश कमर्शियल टैक्स ऑफिसर संघ के पूर्व प्रमुख और इलाहबाद में तैनात सहायक आयुक्त (कॉमर्शियल टैक्स) ऋषि प्रसाद रस्तोगी ने बताया कि केंद्र सरकार जीएसटी के तहत सेवा कर के सभी करदाताओं का प्रशासनिक अधिकार अपने पास रखना चाहती है। इसके अलावा रायों के कॉमर्शियल टैक्स के 1.5 करोड़ रुपए से अधिक सालाना कारोबार वाले करदाताओं पर अपना नियंत्रण चाहती है जो पूरी तरह अनुचित है। केंद्र की दलील है कि रायों के अधिकारियों को सेवा कर लागू करने के संबंध में अनुभव नहीं है। हमारी भी यही दलील है कि केंद्र के पास भी रायों के टैक्स लागू करने का अनुभव नहीं है। ऐसे में 1.5 करोड़ रुपए से अधिक सालाना कारोबार वाले करदाता केंद्र के दायरे में नहीं आने चाहिए। कॉमर्शियल टैक्स अधिकारियों ने यह प्रदर्शन ऐसे समय किया है जब मंगलवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने जा रही है। तीन दिन तक चलने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी की दरें तय करने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी।
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