नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और एलजी के बीच अधिकारों के लेकर लड़ाई फिर छिड़ गई है। दिल्ली सरकार ने एलजी को उनके अधिकारो का याद दिलाई है। दरअसल 400 फाइलों की समीक्षा के लिए एलजी ने शुंगलू कमेटी बनाई है, जिसमें आरोप है इन फाइलों में तय नियमों का ध्यान नहीं रखा गया है। इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार की कैबिनेट की बैठक भी हुई, जिसमें दिल्ली सरकार ने एलजी नजीब जंग को शुंगलू कमेटी को भंग करने का सुझाव दिया है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि एलजी और ऑफिसर को फाइल देखने का अधिकार है, लेकिन कमेटी बना देना और कमेटी फाइलों में ये उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं। दिल्ली सरकार का कहना है संविधान में या किसी अध्यादेश में कहीं भी ये प्रावधान नहीं है कि एलजी कोई इस तरह की कमेटी बनाए।
दिल्ली मंत्रिमंडल ने शुंगलू समिति की रिपोर्ट को असंवैधानिक करार दिया है। केजरीवाल मंत्रिमंडल ने कहा, इस समिति ने नौकरशाही के बीच डर और अनिश्चितता का खतरनाक माहौल बना रखा है और इस तरह सरकार के कामकाज के पटरी पर से उतर जाने का खतरा पैदा हो गया है। अधिकारियों ने अपने मंत्रियों को रिपोर्ट दी है कि समिति ने उन्हें अनौपचारिक रूप से समन किया और उनसे कई घंटे तक पूछताछ की गई। माननीय एलजी हाई कोर्ट के 4 अगस्त के फैसले की गलत व्याख्या कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री अरभवद केजरीवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में बैठक में एलजी को सलाह दी गई कि निर्वाचित सरकार की 400 से ज्यादा फाइलों की समीक्षा के लिए बनाई गई तीन सदस्यों वाली शुंगलू समिति को भंग कर दिया जाए। दिल्ली सरकार ने कहा कि एलजी के क्षेत्राधिकर पारिभाषित हैं और यह संविधान की धारा 239 इइ, 1991 के जीएनसीटीडी कानून और इस कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत हैं।
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