इस्लामाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते’ वाले चेतावनीयुक्त बयान के अगले ही दिन पाकिस्तान ने घोषणा कर दी है कि भारत ‘एकतरफा’ तरीके से इस महत्वपूर्ण जलसंधि से किनारा नहीं कर सकता है. दरअसल, इसी महीने जम्मू एवं कश्मीर के उरी में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने संकेत दिए थे कि वह बदले की कार्रवाई के तहत सिंधु जलसंधि खत्म करने पर विचार कर सकता है.
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के विदेश मामलों में सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने मंगलवार को कहा, “अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार, भारत एकतरफा तरीके से इस संधि से खुद को अलग नहीं कर सकता है…”
18 सितंबर को उरी में भारतीय सेना के बेस पर हुए आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हुए थे, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से वादा किया था कि हमले का बदला ज़रूर लिया जाएगा.
भारत इस समय संयुक्त राष्ट्र के ज़रिये पाकिस्तान को दुनियाभर से अलग-थलग कर देने की कोशिशों में जुटा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संकेत दे चुके हैं कि वह पाक के खिलाफ कड़ी सैन्य नहीं करेंगे, लेकिन वह पाकिस्तान को बैकफुट पर लाने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे.
सोमवार को प्रधानमंत्री ने लगभग छह दशक पुरानी सिंधु जलसंधि की समीक्षा की थी, जिसके तहत तीन नदियों – सिंधु, झेलम और चनाब – का पानी दोनों पड़ोसी मुल्कों में बंटता है. बैठक में तय किया गया कि भारत अब नदियों के संसाधनों के ज़्यादा इस्तेमाल की दिशा में बढ़ेगा, जबकि अधिकारियों ने कहा कि संधि को रद्द या खारिज कर देने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है.
भारत अब तक अपने हिस्से के 20 प्रतिशत पानी का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं करता रहा है, जिससे पाकिस्तान को काफी फायदा होता है, अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि अब यह सब बदल जाएगा, क्योंकि तीनों नदियों पर हाइड्रोपॉवर प्लान्ट बनाने की योजनाएं तेज़ी से अमल में लाई जाएंगी, जिससे पाकिस्तान का उखड़ना स्वाभाविक है.
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जलसंधि वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से काफी बातचीत के बाद 1960 में हुई थी. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, सरताज अज़ीज़ ने कहा, “अगर भारत संधि का उल्लंघन करता है, तो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय पंचाट में जा सकता है…”
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