
वहीं एमजीपी के विधायक लावू मलेलदार ने साफतौर पर राज्य के सीएम को बदलने की बात कही है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस समस्या को सुलझाने के बाद ही राज्य में गठबंधन काम कर सकेगा। लावू ने पारसेकर पर नाकाबिल हाेने का आरोप लगाते हुए यहां तक कहा है कि राज्य को एक काबिल नेतृत्व के हाथों में दिया जाना चाहिए। एमजीपी ने गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर पर राज्य को पीछे धकेलने का आरोप लगाया है।
एमजीपी के अध्यक्ष दीपक धावलिकर ने पार्टी की केंद्रीय कार्य समिति की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा कि वर्ष 2012 में गोवा राज्य विधानसभा चुनाव के लिए हमने मनोहर पर्रीकर को भाजपा नेता के रूप में देखते हुए यह गठबंधन किया था। धावलिकर ने कहा यदि पारसेकर ही भाजपा के विधायी दल के नेता बने रहते हैं तो एमजीपी गोवा विधानसभा के आगामी चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन में नहीं लड़ेगी।
गौरतलब है कि गोवा में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले गठबंधन को लेकर उठे सवाल भाजपा को परेशानी में डाल सकते हैं। पिछले करीब ढाई साल से राज्य का नेतृत्व लक्ष्मीकांत पारसेकर के पास है। इससे पहलेे मौजूदा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर वहां के मुख्यमंंत्री थे। लेकिन केंंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद उन्हें रक्षा मंत्री बना दिया गया था। तब से ही पारसेकर राज्य के मुख्यमंत्री हैं।
राज्य की 40 सीटों वाली विधानसभा के लिए वर्ष 2012 के गोवा विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी को 6.72 फीसदी वोट मिले थे। तब महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने यहां पर तीन सीटों पर अपनी जीत भी दर्ज कराई थी। वहीं गोवा विकास पार्टी ने 3.50 फीसदी वोट हासिल किए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 21 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी और कांग्रेस को यहां पर 9 सीटें मिली थीं।
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