लखनऊ: रामायण में अभी तक आपने यही सुना होगा अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम चार भाई थे। लेकिन भक्त हनुमान के विषय में तो हर कोई जानता है। लेकिन हनुमान जी के बारे में एक बात शायद नहीं जानते होंगे वह यह कि हनुमान जी भगवान श्रीराम के भाई ही थे।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
हनुमान चालीसा में लिखा भी है भगवान राम हनुमान जी से कहते हैं कि ‘तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।’ श्रीराम का ऐसा कहने का तात्पर्य रामायण की कथा से ज्ञात होता है। रामायण में कथा है कि राजा दशरथ की तीन रानियां थीं लेकिन संतान सुख के अभाव के कारण दशरथ जी दुःखी थे। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से दशरथ जी ने श्रृंग ऋषि को पुत्रेष्टि यज्ञ करने के लिए आमंत्रित किया गया। यज्ञ के सम्पन्न होने पर अग्निकुंड से दिव्य खीर से भरा हुआ स्वर्ण पात्र हाथ में लिए अग्नि देव प्रकट हुए और दशरथ से बोले, ‘‘देवता आप पर प्रसन्न हैं। यह दिव्य खीर अपनी रानियों को खिला दीजिए। इससे आपको चार दिव्य पुत्रों की प्राप्ति होगी।
गंगा ने क्यों बहाया नदी में अपने पुत्रों को ?
राजा दशरथ शीघ्रता से अपने महल में पहुंचे। उन्होंने खीर का आधा भाग महारानी कौशल्या को दे दिया। फिर बचे हुए आधे भाग का आधा भाग रानी सुमित्रा को दिया इसके बाद जो शेष बचा वह कैकयी को दे दिया। सबसे अन्त में प्रसाद मिलने से कैकयी ने क्रोध में भरकर दशरथ को कठोर शब्द कहे। उसी समय भगवान शंकर की प्रेरणा से एक चील वहाँ आयी और कैकयी की हथेली पर से प्रसाद उठाकर अंजन पर्वत पर तपस्या में लीन अंजनी देवी के हाथ में रख दिया। प्रसाद ग्रहण करने से अंजनी भी राजा दशरथ की तीन रानियों की तरह गर्भवती हुई।
समय आने पर दशरथ के घर राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। दूसरी और अंजनी ने श्री हनुमानजी को जन्म दिया। इस तरह प्रगट हुए संकट और दुःखों को दूर करने वाले राम और हनुमान। एक ही खीर से राम और हनुमान का जन्म होने से दोनों भाई माने जाते हैं।
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