नई दिल्ली (13 नवंबर):14 नवंबर यानी सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा है और इसबार कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर चांद पूरे यौवन में नजर आएगा। 14 नवंबर को चांद अन्य दिनों की अपेक्षा 30 फीसद ज्यादा बड़ा और अधिक खुबसूरत नजर आएगा। खगोलशास्त्रियों के मुताबिक चंद्रमा में यह निखार 68 साल बाद नजर आएगा।
जब पूर्णिमा का चांद कक्षा पर पृथ्वी के सबसे करीब आता है तब उसे सुपरमून कहते हैं। पृथ्वी की कक्षा में घूमते हुए चांद जब धरती के सबसे नजदीक आ जाता है तो उस स्थिति को पेरीजी और कक्षा में जब सबसे दूर होता है तो उस स्थिति को अपोजी कहते हैं। सामान्य रूप से चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी हर महीने 3,57,000 किमी से 4,06,000 किमी के बीच रहती है। ऐसा उसकी अंडाकार कक्षा के कारण होता है।
सूपरमून शब्द का चलन पहली बार 1979 से शुरू हुआ था। इसे ज्योतिषी रिचर्ड नौले प्रयोग में लाए। सूपरमून तब बनता है, जब चांद पूर्णिमा के समय अपनी निकटतम स्थिति के 90 फीसद या उससे भी अधिक भीतर आ जाता है। इस बार वह अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के बेहद करीब आ रहा है। इस कारण वह आकार में दूर की स्थिति की तुलना 14 फीसद बड़ा नजर आने वाला है। यह नजारा बेदह अनूठा होने जा रहा है। इसे कैमरे में कैद करने के लिए चंद्रमा पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों व चित्रकार तैयारियों में जुट गए हैं। 14 नवंबर को पूरी रात चांद अपनी चमक से पृथ्वी को भी रोशन करेगा।
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