अयोध्या। रामनगरी अयोध्या सप्तपुरियों में श्रेष्ठ मानी जाती है मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की पुनीत नगरी अयोध्या विश्व भर में श्रद्धा का केन्द्र है। अयोध्या की धरती कई धर्मों से अनुप्राणित है। यहां नागेश्वरनाथ, कनकभवन, रामलला, हनुमानगढ़ी, क्षीरेश्वरनाथ जैसे सिद्धपीठ विराजमान हैं जहां वर्ष भर दर्शनार्थ भक्तों का तांता लगा रहता है तो वहीं सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में कुश्ती कला को भी एक नया आयाम देने का काम किया गया है। हनुमानगढ़ी अखाड़े में पहलवानी का दौर आज भी जारी है। वर्तमान में हनुमानगढ़ी अखाड़े में लगभग दो दर्जन पहलवान आज भी रियाज करते हैं। यही नहीं अयोध्या के पहलवान पूरे भारत में आयोजित होने वाली विभिन्न कुश्ती प्रतियोगिताओं में शिरकत कर अयोध्या हनुमानगढ़ी अखाड़े का नाम भी रोशन करते हैं।
हनुमानगढ़ी के नागा संतों को शास्त्र के साथ शस्त्र संचालन की सीख दिये जाने की परंपरा रही है। इन नागा संतों को अखड़मल की संज्ञा दी जाती है। इसी परंपरा के संतों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ में सहयोग करते हुये अंग्रेजों से लोहा लिया था और स्वतंत्रता के आन्दोलन में हिस्सा लिया। अखाड़ा परिषद के पूर्व रा.अध्यक्ष श्रीमहांत ज्ञानदास जी महाराज बताते हैं कि हनुमानगढ़ी में सदियों तक प्रतिष्ठित पहलवानों की लंबी श्रृंखला रही है जो कि लाठी, भाला, बर्छी, चरखा, तीर-धनुष व तलवार चलाने के भी विशेषज्ञ थे। कालान्तर में उपेक्षा के कारण पहलवानी का स्तर गिरता चला गया और यहां के पहलवान आधुनिक सुविधाओं से लैस अखाड़ों के पहलवानों के आगे फीके होते जा रहे हैं।
हनुमानगढ़ी अखाड़े ने कई नामचीन पहलवानों को जन्म देने का काम किया है। कुश्ती संघ के रा.अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह भी इस अखाड़े के पहलवान रह चुके हैं। बाबा हरिशंकर दास ने हिन्द केशरी का खिताब जीता था वहीं पहलवान इन्द्रदेव दास व बाबा गोपाल दास ने यूपी कुमार का खिताब अपने नाम कर अयोध्या का गौरवान्वित करने का काम किया था। इससे पूर्व बाबा रामबालक दास व बाबा दीनबंधु दास भी अयोध्या के नामचीन पहलवानों में शुमार थे। इसी कड़ी में स्वर्गीय हरिभजन दास, स्व.बृजबिहारी दास, बाबा दयाराम दास, बुलबुली दास, श्रवण दास, अवधेश दास पहलवान, बचई दास आदि भी अपने दौर के ख्यातिलब्ध पहलहवानांें में शामिल थे।
ओलम्पिक स्तर पर तैयारी के लिए सुविधाओं का अभाव
वहीं दूसरी तरफ हनुमानगढ़ी में अखाड़ा तो चल रहा है लेकिन ओलम्पिक स्तर पर पहलवानों को निखारने के लिए जो संसाधन व सुविधायें चाहिए वह उपलब्ध नहीं है। अखाड़े के पहलवान प्रेमदास, सुमंतदास, राजेश दास, मनीराम दास आदि कहते हैं इसको लेकर कई बार विभिन्न जनप्रतिनिधियों से मांग की गयी लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला है।
हनुमानगढ़ी अखाड़े से निकले हैं कई नामचीन पहलवान

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