यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर गयी. इस हड़ताल में सभी सावर्जनिक क्षेत्रों, निजी क्षेत्रों, विदेशी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और को-ऑपरेटिव बैंक के करीब 10 लाख अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया. इस हड़ताल के कारण देश भर में बैंकिंग सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं। इस हड़ताल में आरएसएस से सम्बंधित भारतीय मजदूर संघ के दो संगठन नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स और नेशनल ऑर्गेनाइजेश्न ऑफ बैंक ऑफिसर्स ने हिस्सा नहीं लिया.
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इस हड़ताल में निजी क्षेत्र के बैंक में आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा और एक्सिस के कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया और इन बैंकों में कामकाज रोजमर्रा की तरह जारी रहा। एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचालम ने कहा कि इस हड़ताल की वजह से करीब 22 हजार करोड़ रुपए के 40 लाख चेकों का भुगतान प्रभावित हुआ।
क्या है कर्मचारियों की मांगे:
यूएफबीयू जनविरोधी बैंकिंग/श्रम सुधार, श्रमिक संघों के अधिकारों को लेकर सरकार की उल्लंघनकारी कदम और स्थायी नौकरियों को आउटसोर्सिंग करने का विरोध कर रही हैं.
यूनियन नोटबंदी के दौरान अतिरिक्त समय तक किए गए कार्यों के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों को मुआवजा, पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट,1972 के तहत उपदान को हटाने, ग्रेच्युटी और नकदीकरण पर आयकर की छूट की मांग कर रहे थे.
आगे का रास्ता निकला जायेगा:
एआईबीईए के महासचिव ने कहा कि आईबीए ने यूएफबीयू को लिखा कि यदि आज का हड़ताल वापस लेते हैं तो उन्हें मुलाकात के लिए बुलाया जाएगा. वेंकटचालम ने कहा कि यूएफबीयू ने हड़ताल का आह्वान किए जाने से पहले मामले के समाधान के लिए आईबीए से बातचीत की पेशकश की थी, लेकिन आईबीए अपने फैसले पर अड़ा रहा और उसने कहा कि यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि आईबीए इस मुद्दे का हल करना नहीं चाहती है.
सीएलसी ने सलाह दी थी कि आईबीए और केंद्रीय वित्त मंत्रालय यूएफबीयू के साथ इस मुद्दे के समाधान के लिए विचार-विमर्श करे और हड़ताल पर रोक लगाए. एक शीर्ष केंद्रीय नेता ने कहा कि आईबीए और वित्त मंत्रालय के नकारात्मक रवैये को देखते हुए हड़ताल के बाद यूएफबीयू के साथ जल्द ही बातचीत करेंगे. देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में भी बैंककर्मियों के हड़ताल से सभी सेवाएं प्रभावित हुईं। पूरे महाराष्ट्र में भी एक दिवसीय हड़ताल से कारोबार और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां प्रभावित हुई. यहां के लगभग सभी सार्वजनिक बैंकों में हड़ताल देखी गई.
हड़ताल का पूरे देश में रहा असर:
पश्चिम बंगाल में भी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन द्वारा आहूत हड़ताल का असर देखने को मिला। यहां बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह प्रभावित रही.
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यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के कारण मंगलवार को बिहार के सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज पूरी तरह से ठप रहा. इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. बैंक इम्प्लॉइज फेडरेशन बिहार के महासचिव जयप्रकाश दीक्षित ने बताया कि यूनियन के आह्वान पर बिहार के गया, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, छपरा, सीवान, मुंगेर, भागलपुर, पूर्वी एवं पश्चिम चंपारण, नवादा, पूर्णिया, नालंदा, बेगूसराय, खगडिय़ा, गोपालगंज समेत सभी जिलों के सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों ने कामकाज नहीं किया.
कर्मचारियों के कामकाज नहीं करने से लेनदेन पूरी तरह से ठप रहा. बैंक कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल का उत्तर प्रदेश में भी व्यापक असर देखा गया. हड़ताल की वजह से यहां करोड़ों रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ है. बैंक कर्मचारियों के श्रमिक संगठनों के आहृवान पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण उपभेक्ता परेशान दिखे.
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