नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी और मुलायम के परिवार में हुए घमासान ने यूपी की राजनीति पलट दी है. पलटी राजनीति का मिजाज समझने के लिए ही एबीपी न्यूज और सिसरो ने यूपी के वोटरों के बीच त्वरित सर्वे किया है. समाजवादी पार्टी में पिछले दिनों जो कुछ हुआ, उसकी वजह से पार्टी की जमकर किरकिरी हुई है लेकिन अखिलेश यादव का सितारा बुलंदियों पर है. एबीपी न्यूज औऱ सिसरो के त्वरित सर्वे में सीएम के पद के लिए अखिलेश यादव सबसे ज्यादा 31 फीसदी लोगों की पसंद बने वहीं मायावती 27 फीसदी लोगों की पसंद बनी तो भाजपा के आदित्यनाथ को 24 फीसदी लोगों ने अपना वोट दिया. सर्वे के मुताबिक पारिवारिक विवाद के बावजूद अखिलेश लोगों के बीच अपना चेहरा चमकाने में सफल रहे हैं.
सर्वे में केवल 16 फीसदी लोगों ने कहा कि सैफई परिवार के संग्राम की वजह से अखिलेश यादव की छवि को धक्का लगा है वहीं 43 फीसदी लोगों की नजर में मुलायम सिंह यादव की छवि मद्धिम हुई है . 43 फीसदी मतदाता मानते हैं कि पिता-पुत्र दोनों की छवि में गिरावट आयी है.
सर्वे का लब्बोलुबाब यही दिख रहा है कि फिलहाल यूपी में अखिलेश लोगों की पहली पसंद बनकर उभरे हैं. विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव का झगड़ा इतना बढ़ा कि बाप-बेटे का झगड़ा बन गया. समाजवादी पार्टी का झगड़ा आज ठंडा पड़ा है लेकिन खत्म नहीं हुआ है. चुनाव के ऐन मौके पर क्या होगा, अभी भी कोई नहीं कह सकता. अखिलेश यूपी के सीएम बने हुए हैं. शिवपाल यूपी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बने हुए हैं. मुलायम सिंह यादव का ओहदा समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो का बना हुआ है. फिर भी पार्टी में सब ठीक नहीं है.
समाजवादी झगड़े से फायदा किसे मिलेगा?
चाचा भतीजे की लड़ाई ने समाजवादी पार्टी और मुलायम के परिवार को ऐसे मुकाम तक पहुंचा दिया था जहां से टूट साफ साफ दिख रही थी लेकिन किस्मत अच्छी थी कि 25वां स्थापना मनाने जा रही समाजवादी पार्टी टूटने से बच गई. जून से चल रहे समाजवादी घमासान में भाजपा औऱ बीएसपी को संजीवनी दिखने लगी. अखिलेश यादव के काम बोलता है नारे की तोड़ भाजपा-बीएसपी को समाजवादी पार्टी के झगड़े से मिल गई. समाजवादी पार्टी के झगड़े का फायदा लेने की रेस भाजपा औऱ बीएसपी के बीच चल रही है.
एबीपी न्यूज और सिसरो ने यूपी के मतदाताओं से पूछा कि झगड़े का फायदा किसे मिलेगा? सर्वे के नतीजे फिलहाल भाजपा के पक्ष में दिख रहे हैं. बीएसपी पिछड़ती दिख रही है. भाजपाको 39 औऱ बीएसपी को 29 फीसदी फायदा मिल सकता है. सबके झगड़े में कांग्रेस को भी फायदा मिलेगा लेकिन सिर्फ 6 फीसदी.
यूपी का अगला सीएम किसे होना चाहिए?
फायदे की रेस में भाजपा बीएसपी से आगे है लेकिन भाजपा के लिए खतरे की घंटी है सीएम की पसंद का आंकड़ा जिसमें मायावती भाजपा के आदित्यनाथ से आगे हैं. चुनाव में समाजवादी पार्टी एकजुट होकर लड़ी तो भाजपा और बीएसपी का खेल बिगड़ भी सकता है क्योंकि चुनाव अभी भी तीन-चार महीने दूर है. एबीपी न्यूज-सिसरो के सर्वे में यूपी के वोटर अखिलेश यादव के साथ खड़े दिखते हैं. उनका सितारा बुलंद दिखता है.
एबीपी न्यूज-सिसरों के त्वरित सर्वे के नतीजे अखिलेश के लिए राहत वाले हैं. समाजवादी पार्टी के झगड़े के बीच किए गए सर्वे में यूपी के लोगों से पूछा गया था कि अगला सीएम किसे होना चाहिए? अखिलेश यादव 31 फीसदी लोगों की पसंद हैं. मायावती 27 फीसदी लोगों की पसंद बनी तो भाजपा के आदित्यनाथ 24 फीसदी लोगों की पसंद बने. यूपी में अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के सीएम उम्मीदवार होने हैं. बीएसपी से मायावती को सीएम उम्मीदवार होना ही है. भाजपा में किसी सीएम उम्मीदवार का नाम तय नहीं है लेकिन आदित्यनाथ 24 फीसदी लोगों की पसंद बने. यूपी के त्वरित सर्वे से अखिलेश यादव का सितारा बुलंद लगता है. वो सीएम की पसंद हैं लेकिन यूपी के वोटर मानते हैं कि समाजवादी पार्टी का नेतृत्व मुलायम सिंह यादव को ही करते रहना चाहिए.
झगड़े से मुलायम परिवार में किसकी छवि खराब हुई?
समाजवादी परिवार के घमासान से छवि किसकी खराब हुई? अखिलेश यादव की या मुलायम सिंह यादव की. यूपी के 43 फीसदी वोटरों का मानना है कि दोनों का नुकसान हआ. हालांकि अलग अलग आंकड़ों में 30 फीसदी वोटर मानते हैं कि मुलायम की छवि खराब हुई जबकि सिर्फ 16 फीसदी मानते हैं कि अखिलेश यादव की छवि को धक्का लगा.
अखिलेश को अलग पार्टी बनानी चाहिए?
यूपी के वोटर जब अखिलेश को सीएम देखना चाहते हैं तो वो ये भी चाहते हैं कि अखिलेश को अलग पार्टी नहीं बनानी चाहिए. 55 फीसदी वोटर यही राय रखते हैं. सिर्फ 19 फीसदी लोगों की राय है कि अखिलेश को अलग पार्टी बना लेनी चाहिए.
समाजवादी पार्टी में झगड़े के लिए जिम्मेदार कौन?
चाचा भतीजे की लड़ाई से समाजवादी पार्टी का झगड़ा शुरू हुआ था. चाचा भतीजे के बीच में नेताजी मुलायम सिंह यादव थे. दोनों के बीच यूपी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बनने को लेकर झगड़ा था. अखिलेश की दलील थी कि जब काम उन्होंने किये तो उम्मीदवार चुनने का अधिकार भी उन्हें ही मिले लेकिन मुलायम ने शिवपाल को ये अधिकार दिया. अखिलेश ने बदला लेने के लिए शिवपाल से अहम विभाग लेकर पर कतरे तो मुलायम ने पर जोड़ दिए लेकिन अखिलेश ने हार नहीं मानी. शिवपाल को सरकार से ही बर्खास्त कर दिया. मुलायम अब तक शिवपाल को सम्मान लौटा नहीं पाए हैं. यूपी के वोटर भी मानते हैं कि गलती शिवपाल ने की. झगड़े की जड़ भी वही हैं. 43 फीसदी लोगों की ऐसी राय है.
हालांकि अखिलेश यादव ने कई मौके पर अमर सिंह को घर में आग लगाने का जिम्मेदार ठहराया लेकिन सिर्फ 15 फीसदी लोग मानते हैं कि अमर सिंह झगड़े के लिए जिम्मेदार हैं. परिवार के झगड़े में सबसे बड़ी गाज गिरी मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव पर. रामगोपाल पार्टी से निकाले भी जा चुके हैं लेकिन सिर्फ 3 फीसदी लोग रामगोपाल को झगड़े की जड़ माने गए. झगड़े की जड़ में मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता का भी नाम उछल चुका है लेकिन उनको झगड़े की जड़ सिर्फ एक फीसदी वोटरों ने माना.
कैसे हुआ सर्वे?
26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर के बीच किए गए त्वरित सर्वे में हमने ये जानने की कोशिश की कि यूपी के लोग क्या सोचते हैं? ये जानने के लिए यूपी की 5 विधानसभा सीटों पर 1500 लोगों की राय हमने जानी. ये त्वरित सर्वे यूरोपियन सोसाइटी फॉर ओपिनियन एंड मार्केटिंग रिसर्च यानी ESOMAR के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए किया गया.
-सौजन्य से एबीपी न्यूज़
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