कोलंबिया के राष्ट्रपति ख़्वान मैनुएल सांतोस को इस साल का शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है.
नॉर्वे में अवॉर्ड ज्यूरी ने फार्क विद्रोहियों के साथ बीते महीने किए गए शांति समझौते के लिए उनके प्रयासों की प्रशंसा की.
BREAKING NEWS The 2016 #NobelPrize #Peace is awarded to Colombian President Juan Manuel Santos pic.twitter.com/7OhiCruc1o
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 7, 2016
फार्क विद्रोहियों और कोलंबिया सरकार के बीच हवाना में चार साल चली वार्ता के बाद बीते महीने स्थायी शांति के लिए समझौता हुआ था. इस समझौते में सांतोस के साथ-साथ फार्क नेता टिमोशेंको का भी अहम योगदान रहा.
हालांकि बाद में कोलंबिया की जनता ने जनमत संग्रह में बेहद कम अंतर से इस समझौते को नकार दिया था.
52 साल पुराने संघर्ष में अब तक दो लाख 60 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 60 लाख से अधिक को अपना घरबार छोड़ना पड़ा है.
नोबेल पुरस्कार समिति की चेयरवुमेन कासी कूलमन ने कहा, “नॉर्वे की नोबेल समिति ने 2016 का शांति का नोबेल पुरस्कार कोलंबिया के राष्ट्रपति ख़्वान मैनुएल सांतोस को देश के पचास साल से ज़्यादा पुराने गृह युद्ध को समाप्त करने के लिए किए गए प्रयासों के लिए देने का फ़ैसला किया है.”
सांतोस ने जनमत संग्रह में समझौते के खारिज होने के बाद विद्रोहियों से वार्ता जारी रखने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है.
आलोचकों का कहना है कि समझौते में विद्रोहियों को ज़्यादा ही छूट दी गई थी.
शख्सियत
कोलंबिया के राष्ट्रपति ख़्वान मैनुएल सांतोस ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में कहा था, “आज हमारे पास उम्मीद की वजह है, धरती पर एक युद्ध कम हो गया है.”
सांतोस दरअसल कोलंबिया के वामपंथी विद्रोहियों और सरकार के बीच हो रहे शांति समझौते का हवाला दे रहे थे.
ये समझौता पाँच दशक से अधिक से जारी और दो लाख साठ हज़ार से अधिक लोगों की जान लेने वाले गृह युद्ध पर विराम लगाने जा रहा था.
लेकिन सांतोस हमेशा से ही इतने आशावादी नहीं रहे हैं.
एक दशक पहले जब वो रक्षामंत्री थे तब उन्होंने पड़ोसी देश इक्वेडोर में फार्क विद्रोहियों को कैंप पर बमबारी का आदेश दिया था.
ऐसा इक्वेडोर को जानकारी दिए बिना किया गया था.
सांतोस पूर्व राष्ट्रपति अलवारो यूरीबे के क़रीबी हैं और उनका राजनीतिक उदय तेज़ी से हुआ है.
2006 में राष्ट्रपति यूरीबे फार्क विद्रोहियों से लड़ाई जारी रखने के वादे पर दोबारा चुने गए थे.
कैबिनेट में फ़ेरबदल करते हुए यूरीबे ने सांतोस को अपना रक्षामंत्री बनाया था.
दशकों से विद्रोह झेल रहे देश में ये अहम पद था.
सांतोस पहले से ही यूरीबे का समर्थन करते रहे थे. जिन दिनों यूरीबे बहुत चर्चित उम्मीदवार नहीं थे, तब सांतोस ने उनकी पार्टी के अभियान को आर्थिक सहयोग दिया था.
रक्षामंत्री बनने के बाद सांतोस ने कई बड़े सैन्य अभियानों से अपनी पहचान बनाई.
उन्हीं के नेतृत्व में सेना ने अग़वा किए गए नेता इन्गरिड बेटनकोर्ट और तीन अमरीकी नागरिकों को फार्क के क़ब्ज़े से रिहा करवाया.
सेना ने पड़ोसी देश इक्वाडोर में हवाई हमले किए जिनमें फार्क नेता राउल रेयेज़ मारे गए.
लेकिन 2008 में हुए इन हमलों से इक्वेडोर और कोलंबिया के बीच राजनयिक तनाव पैदा हो गया.
इसी दौरान कोलंबिया की सेना के आम नागरिकों को विद्रोही बताकर मारने के सबूत भी सामने आए.
बावजूद इसके सांतोस की स्वीकार्यता बनी रही और वो 2009 में फिर से रक्षामंत्री बनाए गए.
सांतोस 2010 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़े और जीत गए.
वे कोलंबिया के इतिहास में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले नेताओं में शामिल हो गए.
राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कई चौंकाने वाले फ़ैसले लेते हुए वामपंथी वेनेज़ुएला में ह्यूगो शावेज़ सरकार से रिश्ते सामान्य किए.
उन्होंने पिछली सरकार के सदस्यों पर पद के दुरुपयोग के मामले भी चलवाए.
2012 में सांतोस ने फार्क विद्रोहियों के साथ क्यूबा में बातचीत की ख़बरों की पुष्टि की.
क्यूबा की वामपंथी सरकार राजधानी हवाना में इस शांति वार्ता को आयोजित कर रही थी.
नीतियों में इन बदलावों के कारण ही पूर्व राष्ट्रपति यूरीबे से उनके रिश्तों में कड़वाहट आ गई.
दोनों के बीच रिश्ते इतने ख़राब हो गए कि 2014 में जब सांतोस दोबारा राष्ट्रपति चुनाव में खड़े हुए तो यूरीबे ने उनके विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन किया.
सांतोस एक बार फिर चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
2016 में चार साल चली औपचारिक और उससे पहले दो साल चली गुप्त वार्ता के बाद कोलंबिया की सरकार और विद्रोहियों ने शांति समझौते पर सहमत होने का एलान किया.
कोलंबिया के तटीय शहर कार्टेगाना में फार्क विद्रोहियों और कोलंबिया सरकार के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो गए.
लेकिन 2 अक्तूबर को हुए जनमतसंग्रह में कोलंबिया की जनता ने बेहद कम अंतर से शांति समझौते को नकार दिया.
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