आपको ये बात जानकर काफी हैरानी होगी कि साल 2030 तक लोगों की मौत का सातवां मुख्य कारण सड़क हादसा होगा. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक, साल 2014 में करीब साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं.
इन सड़क हादसों में घायलों की संख्या करीब 1 लाख 41 हजार बताई गई है. जानकारों के मुताबिक ड्राइवर के सो जाने, ओवर स्पीडिंग, लापरवाही से ड्राइविंग और बदहाल सड़के इन हादसों का मुख्य कारण है.
इसे भी पढ़ें…#कामकीबात : यह एप देता है 17 जानकारियां, अगर आप ‘रेलयात्री’ हैं तो इसे जरूर पढ़ें
इन बढ़ते सड़क हादसों से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने व्हीकल टेलीमैटिक्स तकनीक इजात की है. इस खास तकनीक से सड़क दुर्घटनाओं में काफी हद तक लगाम लग सकेगी.
इस मामले में ओर अधिक जानकारी देते हुए वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसिज़ प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक सोनू अग्रवाल ने बताया कि, ‘बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने व्हीकल टेलीमैटिक्स तकनीक पर काम किया है.
जिससे सड़क जितनी होगी सुरक्षित, उतना ही होगा परिवार सुरक्षित’. चलिए आपको बताते हैं क्या होता व्हीकल टेलीमैटिक्स.
व्हीकल टेलीमैटिक्स तकनीक-
वाहन की वास्तविक स्थिति की निगरानी रखी जा सकेगी.
जी.पी.एस के माध्यम से वाहन की लोकेशन पता चलेगी.
स्पीड कन्ट्रोल के साथ गाड़ी में आ रही गड़बड़ियों पर निगरानी रखी जा सकेगी.
व्हीकल टेलीमैटिक्स के फायदे
बढ़ती गाड़ी की रफ्तार पर रोक – अमूमन सड़क हादसों का मुख्य कारण ओवर स्पीडिंग होता है. इस खास तकनीक के चलते वाहन मालिक ड्राइवर पर चौबीस घंटे नजर रख पाएंगे तो वहीं ड्राइवर पर भी मालिक की निगरानी का डर बना रहेगा.
व्यक्तिगत फायदा – इस तकनीक के मुख्य फायदों में से एक फायदा ये भी है कि आपकी गाड़ी चोरी नहीं होगी, अगर होगी भी तो आपकी गाड़ी को ढूंढने में परेशानी नहीं होगी.
वहीं दूसरी ओर किसी प्रकार की अप्रिय दुर्घटना होने पर आप इसमें लगी इमरजेंसी बटन का उपयोग कर सकते हैं जिससे आपको समय पर मदद मिल सकेगी.
इसे भी पढ़ें… #कामकीबात : इन मजेदार एंड्रॉयड एसएमएस ऐप्स को चला कर आप भूल जाएगे व्हाट्सएप को
ऑटोमैटिकली कॉलिंग – गाड़ी की भिड़ंत या दुर्घटना पर ऑटोमैटिकली इमरजेंसी नंबर डायल होगा और कॉल सेंटर को अपने आप इसकी जानकारी मिल जाएगी.
इमरजेंसी होने पर – गाड़ी का टायर फटने या तेल खत्म होने या अन्य किसी तरह की समस्याओं निपटने के लिए एक सहायता बटन इसमें उपलब्ध होता है. यदि गाड़ी अपनी लोकेशन खो देती है तो जीपीएस के चलते गाड़ी को आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा.
Facebook
Twitter
Google+
RSS