नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को विपक्षी दलों ने जुलूस निकालकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। विपक्ष ने हमलावर रुख अपनाते हुए सरकार पर ‘फासीवादी राजनीति’ करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि वे मुद्दे को संसद में उठाएंगे। जुलूस में बड़ी संख्या में छात्रों और जेएनयू के प्रोफेसरों ने भी हिस्सा लिया। जुलूस मंडी हाउस से संसद तक पहुंचा।
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जुलूस में (आरएसएस) से संबद्ध (एबीवीपी) द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) परिसर में हिंसा फैलाए जाने के खिलाफ नारे लगाए। जुलूस में (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव डी.राजा, जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) के मुख्य महासचिव तथा राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.त्यागी, स्वराज इंडिया पार्टी के योगेंद्र यादव, दिल्ली विश्वविद्यालय तथा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसरों ने हिस्सा लिया। राजा ने (भाजपा) पर हमला करते हुए कहा कि इन फासीवादियों ने लोकतंत्र में कभी यकीन नहीं किया। यह हमारा देश है और हमें इन फासीवादियों और तानाशाही ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। उन्होंने कहा, “संवैधानिक नैतिकता के प्रति उनका (भाजपा) कोई सम्मान नहीं है।
उमर खालिद ने भी की सरकार की आलोचना
जेएनयू के छात्र उमर खालिद ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि देश में ‘फासीवादी राजनीति’ हो रही है। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में देश में झूठ पर आधारित फासीवादी राजनीति हो रही है। खालिद ने कहा, “ये वे लोग हैं, जिनका कहना है कि छात्र राजनीति में क्यों शामिल हो जाते हैं, उन्हें पढ़ाई करनी चाहिए। उन्हें यही बात पहले अपने छात्र संगठन एबीवीपी को समझानी चाहिए और गुंडागर्दी पर रोक लगानी चाहिए।”
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क्या था मामला
बता दें पिछले दिनों रामजस कॉलेज में एक सेमिनार में वक्ता के तौर पर जेएनयू के छात्र उमर खालिद को आमंत्रित किए जाने का विरोध कर एबीवीपी ने कार्यक्रम को रद्द करने पर मजबूर कर दिया था। इस घटना के एक दिन बाद एबीवीपी और वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) के छात्रों के बीच लडा़ई हुई थी और मामला ने काफी तूल पकड़ा था।
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