भारत के मतदान प्रक्रिया में किये गए कई बदलाव के बाद अब एक और बड़ा बदलाव आने को है. इस बदलाव को लाने का प्रयास कर रहे हैं भाजपा के सांसद वरुण गांधी. संसद में इस विधेयक के पास हो जाने पर जनता को ‘राइट टू रिकॉल’ की ताकत मिल जाएगी.
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वरुण गांधी का विधेयक कैसे करेगा कार्य
इस विधेयक के पास हो जाने से अगर जनता अपने जनप्रतिनिधियों के काम से नाखुश है तो उन्हें हटा सकती है. ज्यादातर ऐसा होता है कि प्रतिनिधि चुनाव के दौरान बड़े-बड़े वादे करते हैं और जीत के बाद उन वादों पर खरे नहीं उतरते.
ऐसे वक़्त पर जनता के पास उन्हें हटाने का कोई विकल्प नहीं होता है. लेकिन इस विधेयक के पास हो जाने से जनता के पास अपने प्रतिनिधियों को हटाने का विकल्प होगा.
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विधेयक का पूरा ब्यौरा
किसी क्षेत्र के 75 प्रतिशत मतदाता अगर अपने सांसद और विधायक के काम से संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें निर्वाचन के दो साल बाद वापस बुलाया जा सकता है.
वरुण गांधी ने कहा कि तर्क और न्याय के तहत अगर लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार होता है तो उन्हें यह भी अधिकार होना चाहिए कि वे कर्तव्य का निर्वाह नहीं करने या गलत कार्यों में लिप्त होने वाले अपने प्रतिनिधि को वापस बुला सकें.
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