लॉ कोर्स में दाखिला पाने वालों के लिए इस सेशन में एज लिमिट की बाध्यता नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नोटिफिकेशन पर स्टे लगा दिया है, जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया यानी BCI ने 3 साल और 5 साल के लॉ कोर्स के लिए ऊपरी एज लिमिट तय कर दी थी.
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लॉ कोर्स में दाखिले के लिए
इसी हफ्ते BCI ने लॉ कोर्स में दाखिले के लिए 3 साल के कोर्स के लिए एज लिमिट 45 साल, जबकि 5 साल के लॉ कोर्स में दाखिले के लिए एज लिमिट 22 साल तय की थी. BCI ने मौजूदा सेशन के लिए ये एज लिमिट तय की थी और अगले सेशन के लिए मामले को लीगल एजुकेशन कमेटी पर छोड़ दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि BCI के नोटिफिकेशन को एग्जामिन किया जाएगा. एक स्टूडेंट की तरफ से दायर याचिका में BCI के नोटिफिकेशन को चुनौती देते हुए कहा गया था कि दाखिले में ऊपरी उम्र सीमा तय करना मूल अधिकार का हनन है.
शुक्रवार को जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि एक तरफ तो आप लीगल एजुकेशन को प्रमोट करने की बात करते हैं और दूसरी तरफ लॉ की पढ़ाई के लिए एज लिमिट तय कर रहे हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस साल इसे क्यों लागू किया गया है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए जुलाई के तीसरे हफ्ते की तारीख तय की है.
BCI ने इसी हफ्ते लिए फैसले में लॉ ग्रेजुएट कोर्स के लिए उम्र की सीमा बढ़ा दी थी इसके तहत पांच साल के लॉ कोर्स के लिए 20 साल की एज लिमिट को 22 साल, जबकि तीन साल के लॉ कोर्स के लिए ऊपरी एज लिमिट 30 साल से बढ़ाकर 45 साल कर दिया था.
BCI के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि मौजूदा सेशन के लिए ये अंतरिम निर्णय लिया गया है और आगे के फैसले के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है जिनकी रिपोर्ट के बाद BCI आगे फैसला लेगी.
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BCI देश भर में लीगल एजुकेशन और लीगल प्रोफेशन को रेग्युलेट करता है. कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के जरिये पांच साल के लॉ कोर्स में दाखिला किए जाने का फैसला बीसीआई ने लिया है. बीसीआई ने एज लिमिट तय की थी. फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख 31 मार्च है.
सीएलएपी में उम्र सीमा तय किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान बार काउंसिल से कहा था कि इस मामले में इतनी जल्दी क्या है. क्यों इस एकेडमिक साल में इसे लागू किया जा रहा है?
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