फैजाबाद। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या राजनीतिक लिहाज से हमेशा चर्चा का विषय रही है। चाहे केन्द्र हो या फिर उत्तरप्रदेश की राजनीति, अयोध्या का अहम स्थान होता है। जब अयोध्या में चुनाव होते हैं तो उसके परिणाम पर पूरे देश की नजर होती है, विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनाव दोनों में अयोध्या अहम भूमिका निभाता है। केन्द्र में शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी के लिए तो रामनगरी अयोध्या राजनीति का केन्द्र बिन्दु है, अयोध्या में विराजमान रामलला श्रद्धा, आस्था का केन्द्र तो हैं ही साथ ही साथ राजनीति की धुरी भी रामलला के इर्द-गिर्द ही आकर रूक जाती है।
वर्तमान में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं तो रामलला, राममंदिर अयोध्या की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है। चुनाव के दौरान रामलला व राममंदिर पर चर्चा अवश्यंभावी हो जाती है, और जैसे ही राममंदिर पर चर्चा होती है, इसके लेकर आरोप प्रत्यारोपों का दौर भी शुरू हो जाता है। प्रदेष के विधानसभा चुनाव के अंतिम चरणों में भाजपा नेताओं द्वारा राम मंदिर मुद्दे को उछालने पर अयोध्या के संतों ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है। संतों का कहना है कि भाजपा राम मंदिर मुद्दे का गलत इस्तेमाल कर रही है और जनता को गुमराह कर रही है। भाजपा यह मुद्दा उछालकर अपना वोट बैंक और नोट बैंक बढ़ाना चाहती है
रामलला व राममंदिर मामले पर बोलते हुये राम जन्म भूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का विवाद सर्वोच्च नयायालय में है। ऐसे में नेता इस मुद्दे को उछालकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं और जनता को गुमराह कर रहे हैं। इस तरह का झूठा प्रलोभन देना गलत है। यह एकदम जनता को ठगने जैसी बात है। वहीं इस मामले पर बोलते हुए रसिकपीठाधीश्वर जानकीघाट बड़ा स्थान के श्री महंत जन्मेजय शरण जी महाराज ने कहा कि न ही अटल जी के समय में कोई प्रस्ताव भाजपा लाई और न ही मोदी जी ने ही राम मंदिर निर्माण के लिए अभी तक कुछ भी कहा है। बस चुनाव में इसे मुद्दे को उछालकर भाजपा अपना वोट बैंक और नोट बैंक भरना चाहते हैं और जनता के साथ छल कर रहे हैं। ये मंदिर निर्माण नहीं करना चाहते हैं।
अयोध्या के संतों का आरोप, चुनाव में राममंदिर मुद्दे का हो रहा इस्तेमाल

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