देहरादून: देश के अन्य हिस्सों की भांति उत्तराखंड से भी मानसून विदा हो गया। मौसम विज्ञान विभाग ने इसकी विदाई की आधिकारिक घोषणा कर दी। इस मर्तबा मानसून सामान्य रहा। हालांकि, बारिश में 10 फीसद कमी रही, लेकिन 19 फीसद कम अथवा ज्यादा को सामान्य माना जाता है।
वहीं, विदा होने से पहले मानसून ने सूबे के विभिन्न हिस्सों को भिगोया। इसके चलते पर्वतीय इलाकों में सुबह-शाम हल्की ठंडक महसूस होने लगी है। मौसम विभाग की मानें तो 15 अक्टूबर से मैदानी क्षेत्रों में भी ठंडक महसूस होने लगेगी।
उत्तराखंड में इस मर्तबा मानसून ने 21 जून को दस्तक दी थी। हालांकि, मानसून सीजन एक जून से 30 सितंबर तक माना जाता है, लेकिन मानसून की गतिविधि बनी हुई थी। शनिवार को इसकी विदाई की घोषणा कर दी गई।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि मानसून सीजन में राज्य में सामान्यतौर पर 1223.4 मिमी वर्षा होती है, जबकि इस बार हुई 1101.6 मिमी। चूंकि, मानसून में बारिश में 19 फीसद कमी अथवा अधिकता को सामान्य माना जाता है।
इस लिहाज से सूबे में मानसून सामान्य रहा है। उन्होंने बताया कि चंपावत, देहरादून, पौड़ी, टिहरी, पिथौरागढ़, ऊधमसिंहनगर और उत्तरकाशी जिलों में बारिश 11 से 42 तक कम रही, जबकि शेष जनपदों में सामान्य से अधिक।
वहीं, सूबे में मानसून सीजन की बारिश भले ही कम रही, लेकिन इसने जख्म भी काफी गहरे दिए। जून, जुलाई व अगस्त और मध्य सितंबर से पहले तक बादल फटने, भूस्खलन की घटनाओं में 102 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 80 घायल हुए और पांच का अभी तक कोई पता नहीं है। इसके अलावा सड़कों, पेयजल व विद्युत योजनाओं, पुलों, खेतों और रास्तों को भी खासा नुकसान पहुंचा।
छह जिलों में अभी भी वर्षा के आसार
सूबे से मानसून की विदाई भले ही हो गई हो, लेकिन वर्षा का क्रम फिलहाल बना रहेगा। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटों में राज्य में आसमान मुख्यत: साफ रहने से लेकर आंशिक रुप से बादल छाये रहेंगे।
विशेषकर उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और नैनीताल जनपदों में कहीं-कहीं गरज चमक के साथ बहुत हल्की से हल्की वर्षा हो सकती है।
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