‘ख़ामोशी द म्यूज़िकल’ और ‘दिल से’ जैसी फ़िल्मों के ज़रिए क्रिटिक्स से तारीफ़ पा चुकी अभिनेत्री मनीषा कोइराला अब पर्दे पर हिंदी सिनेमा की एक यादगार हीरोइन बनकर आ रही हैं.
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मनीषा कोइराला बनेगी संजू बाबा की माँ
अभिनेता संजय दत्त पर बन रही ‘दत्त’ नाम की बायोपिक में मनीषा संजय की मां नरगिस का किरदार निभाने जा रही हैं. नरगिस की मौत कैंसर से हुई थी. ख़ुद मनीषा इस बीमारी से जूझ चुकी हैं. इस फ़िल्म में नरगिस के किरदार को लेकर वो बेहद उत्साहित हैं.
उन्होंने कहा की ”नरगिस दत्त जी का किरदार निभाना किसी सपने जैसा है. ये मेरे लिए सम्मान की बात है. मेरे कंधों पर बड़ी ज़िम्मेदारी है. उम्मीद है मैं इस किरदार के साथ न्याय कर पाऊंगी.
इस फ़िल्म के लिए राजू सर से मिलकर मुझे काफी खुशी हुई. उनके पास एक अच्छी टीम है और मेरे लिए ये एक शानदार मौका है.
मनीषा कोइराला संजय दत्त की हीरोइन बनकर कई फ़िल्मों में उनके साथ काम कर चुकी हैं. इनमें ‘महबूबा’, ‘ख़ौफ़’, ‘बाग़ी’ और ‘कारतूस’ जैसी फ़िल्में शामिल हैं. लेकिन संजय पर बन रही बायोपिक में वो उनकी हीरोइन नहीं बल्कि मां बन रही हैं.
”संजू बाबा मेरे बचपन का क्रश रहे हैं. मुझे उनके साथ कुछ फ़िल्मों में काम करने का मौका मिला. उनकी बहन प्रिया दत्त के लिए मेरे दिल में काफी इज़्ज़त है. हम दोनों कैंसर के मरीज़ों से जुड़े काम के सिलसिले में मिलते रहते हैं. मुझे बहुत अच्छा लगा उन्हें ये बताते हुए कि मैं उनकी मां नरगिस का किरदार निभाने जा रही हूं.”
नेपाल के राजनैतिक घराने से हीरोइन बनने, तलाक और फिर कैंसर से वापसी करने तक मनीषा कोइराला का अबतक का जीवन खुद एक फ़िल्म की कहानी जैसा रहा है. ऐसे में क्या मनीषा ख़ुद पर बायोपिक बनते देखना चाहती हैं, जब उनसे ये सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘हां क्यों नहीं, मैं बिल्कुल अपनी बायोपिक बनते देखना चाहूंगी. पर अभी नहीं, उम्र लम्बी रही तो 20 साल बाद.
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अपने रोल में वो आज की अभिनेत्रियों में से आलिया भट्ट या कंगना रनौट को पर्दे पर देखना चाहती हैं.आलिया और कंगना की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा की ”आलिया भट्ट जितनी ख़ूबसूरत हैं, उतनी ही नैचुरल एक्टर भी हैं. उनके अलावा कंगना रनौट भी बहुत टैलेंटेड और मज़बूत इरादों वाली महिला हैं. ये दोनों मेरा किरदार अच्छी तरह निभा पाएंगी.”
1991 में फ़िल्म ‘सौदागर’ से हिंदी सिनेमा में कदम खने वाली मनीषा फ़िल्म ‘बॉम्बे’, ‘ख़ामोशी द म्यूज़िकल’ और ‘कंपनी’ के लिए तीन बार फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड पा चुकी हैं. जितनी कामयाबी उन्हें कमर्शियल फ़िल्मों से मिली, रियलिस्टिक सिनेमा में भी वो उतनी ही पसंद की गईं.
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