गोवा की राजधानी पणजी में आज से ब्रिक्स सम्मलेन शुरू हो रहा है. पांच देशों के इस सम्मेलन में तमाम आपसी और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी साथ ही आपसी सहयोग को नई ऊंचाई देने के उपायों पर भी सदस्यों देशों के प्रमुख बात करेंगे. समिट में आतंकवाद और आर्थिक सुधारों के साथ ब्रिक्स सदस्य देशों की अलग रेटिंग एजेंसी बनाने पर भी चर्चा होगी. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की सदस्य देशों के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें भी हो रही हैं. गोवा पहुंचने पर पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत किया. दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बातचीत शुरू हो चुकी है.
गोवा पहुंचे चीन के राष्ट्रपति
ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी गोवा पहुंच चुके हैं. पीएम मोदी से जिनपिंग की मुलाकात शाम 5:40 बजे होगी. जानकारी के मुताबिक, चीनी नेता अपने इस दौरे पर पाकिस्तान का मुद्दा उठा सकते हैं. समिट में चीन भारत को प्रभावित कर पाकिस्तान के साथ उसके राजनयिक गतिरोध को तोड़ने की कोशिश करेगा.
BRICS Summit 2016: Chinese President Xi Jinping arrives in Goa pic.twitter.com/pTemQgo6NG
— ANI (@ANI) October 15, 2016
मोदी ने ट्वीट कर पुतिन का किया स्वागत
शनिवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत पहुंचने पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया और रूसी राष्ट्रपति का स्वागत किया. रूस के राष्ट्रपति पुतिन पहले ही भारत को अपना खास सामरिक साझेदार बता चुके हैं. बातचीत के दौरान दोनों देश अपनी साझेदारी को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाएंगे जो आने वाले वक्त में देश के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं. माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच 40 हजार करोड़ के रक्षा सौदे हो सकते हैं.
18 समझौतों पर होंगे दस्तखत
पणजी में हो रहे ब्रिक्स समिट के इतर इंडिया-रशिया एनुअल समिट भी होगी. पुतिन और पीएम मोदी के बीच ब्रिक्स समिट से पहले मुलाकात हुई. इसमें आपसी संबंधों और तमाम वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई. साथ ही देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. उम्मीद है कि रूस और भारत कुल 18 समझौतों पर दस्तखत कर सकते हैं.
मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर भी होगा समझौता
इस दौरान दोनों देशों के बीच लंबी रेंज की क्षमता वाले एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 ट्राइअम्फ की खरीद के लिए कई अरब डॉलर के करार पर दस्तखत हो सकते हैं. इन मिसाइलों में अपनी तरफ आ रहे दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक के दायरे में मार गिराने की क्षमता है. अगर भारत रूस के साथ ये करार कर लेता है, तो यह चीन के बाद इस मिसाइल सिस्टम का दूसरा बड़ा ग्राहक बन जाएगा.
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