बारामूला: उत्तरी कश्मीर में बारामूला की पुरानी बस्ती में आतंकवादियों के छिपे होने की ख़बरें मिलने के बाद शुक्रवार सुबह से पुलिस तथा सेना ने व्यापक नाकाबंदी और तलाशी अभियान शुरू कर दिया है. लाउडस्पीकरों पर की जा रही घोषणाओं में स्थानीय निवासियों से घरों से बाहर निकल आने के लिए कहा जा रहा है. अभियान के तहत सुरक्षाबल घर-घर जाकर तलाशी ले रहे हैं.
शहर में हालिया दिनों में दो बार आतंकवादियों के हमले होने के बाद मंगलवार को भी सुरक्षाबलों ने लगभग 700 घरों की तलाशी ली थी, जो पिछले एक दशक में तलाशी का पहला मौका था. मंगलवार को तलाशी अभियान इसलिए चलाया गया था, क्योंकि विरोध प्रदर्शनों के दौरान चीनी झंडे भी दिखाई दिए थे. 12 घंटे से भी ज़्यादा वक्त तक चले तलाशी अभियान में चीन और पाकिस्तान के झंडों के अलावा पेट्रोल बम, भारत-विरोधी प्रचार सामग्री, अनधिकृत सेलफोन तथा जैश-ए-मोहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े दस्तावेज़ भी बरामद हुए थे.
विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने के संदेह में 40 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से कुछ को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया था.
J&K: Search operation underway by army and police at a terror hideout in Baramulla. pic.twitter.com/UYbk3n8UGg
— ANI (@ANI) October 21, 2016
हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन के 22-वर्षीय आतंकवादी बुरहान वानी के इसी साल 8 जुलाई को सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे जाने के बाद पिछले तीन महीने से घाटी में फैले असंतोष के दौरान राजधानी श्रीनगर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर बसा बारामूला सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाका रहा है.
इसी इलाके में कम से कम दो बड़े आतंकी हमले भी हुए हैं. एक अगस्त में, जब सेना के दो जवान शहीद हुए थे और एक ड्राइवर भी मारा गया था. फिर इसी महीने आतंकवादियों ने 49 राष्ट्रीय राइफल्स के बटालियन हेडक्वार्टर पर हमला किया, जो ‘मारो और भाग जाओ’ की किस्म का था. इस हमले में बीएसएफ का एक जवान शहीद हुआ था, और एक अन्य घायल हुआ था.
पुलिस द्वारा कड़ी कार्रवाई करने और हज़ारों लोगों को गिरफ्तार कर लेने के बाद हालिया समय में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में काफी कमी आई है.
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