मथुरा. होली की मस्ती और हुडदंग की बात हो तो सबसे पहले ब्रज का ही नाम जुबान पर आता है और ब्रज में भी नंदगांव बरसाना। भगवान श्री कृष्ण और राधा के अनंत प्रेम के उत्सव होली का बरसाना और नंदगांव में बड़ा ही विचित्र और मनोहारी रूप देखने को मिलता है। बरसाना नंदगांव की लठामार होली जग प्रसिद्ध है।
इस बार की बात की जाये तो ये लठामार होली 6 और 7 मार्च को बरसाना और नंदगांव में होगी। जिसे लेकर अभी से काफी जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं। बरसाना और नंदगांव की गोपियां काफी दिनों से अपनी लाठियों को चमकाने में लगी हैं।
बरसाना राधा जी के पैतृक गांव के रूप में जाना जाता है ,तो वहीं इसके पास में 8 किलोमीटर के फासले पर बसा है भगवान श्री कृष्ण का गांव नंदगाँव। इन दोनों गांवों के बीच युगों से चला आ रहा है लठामार होली का ये सिलसिला। कहते है कि कृष्ण कन्हैया की बरसाना में ससुराल है ,और जब कन्हैया अपनी मित्र मण्डली के साथ अपनी ससुराल बरसाना में होली खेलने जाते है और जब वो अपनी ससुराल बरसाना मे राधा जी व् उनकी सखियों से हंसी ठिठोली करते हैं तो उसके विरोध में राधाजी व् उनकी सखिया नन्दलाल व उनकी उत्पाती टोली पर प्रेम पगी लाठियों से प्रहार करती है। वहीं सखा अपनी अपनी ढालों से बचाव करते है। इसी को लठामार होली का नाम दे दिया गया। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बरसाना की रंगीली गलियों में बरसाना की महिलाएं राधा रानी की सखियों के रूप में अपने हाथों में मजबूत लाठी लेकर नंदगाँव के नटखट नन्दलाल व् उनके सखाओं की टोली पर अपनी जम कर प्रहार करती है । इन महिलाओं को होली में हुरियारिन कहा जाता है।और होली खेलने वाले पुरुषों को हुरियारे का नाम दिया गया है। ठीक अगले दिन यानि दशमी तिथि को यही नजारा नंदगांव में देखने को मिलता है जहां नंदगाँव की हुरियारिनें और बरसाना के हुरियारे होली खेलते हैं ।भगवान की प्रेम रस की इस लीला को देखने के लिए देश विदेश से लाखों श्रध्दालु यहाँ आते है।
आजकल बरसाना और नंदगाँव के घर घर में इस अनौखी लठामार होली की तैयारियां चल रही है। गोस्वामी समाज के घरों की महिलाएं अपनी अपनी लाठियों से लेकर अपने साज – श्रृंगार की तैयारी में जुटी हुई है ।
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