लखनऊ: आपने देखा होगा कि भगवान की पूजा के बाद आरती जरुर होती है अब चाहे घर हो या फिर मंदिर। बिना आरती के कोई भी पूजा अपूर्ण मानी जाती है। क्या आपको पता है पूजा में आरती का इतना महत्त्व क्यों है..? यदि नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि पूजा में आरती का इतना महत्त्व क्यों है।
स्कन्द पुराण में मिलता है इसका उल्लेख
स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता लेकिन आरती कर लेता है तो भगवान उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं। आरती का धार्मिक महत्व होने के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है।
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आपको बता दें कि आरती में रुई, घी, कपूर, फूल, चंदन आदि जरूर होता है रुई शुद्घ कपास होता है इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती है। इसी प्रकार घी भी दूध का मूल तत्व होता है। कपूर और चंदन भी शुद्घ और सात्विक पदार्थ है। जब रुई के साथ घी और कपूर की बाती जलाई जाती है तो एक अद्भुत सुगंध वातावरण में फैल जाती है। इससे आस-पास के वातावरण में मौजूद नकारत्मक उर्जा भाग जाती है और सकारात्मक उर्जा का संचार होने लगता है।
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