नई दिल्ली : जीएसटी काउंसिल भविष्य में वस्तु एवं सेवा कर के स्लैब घटा सकती है। यह जानकारी देते हुए केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के चेयरमैन नजीब शाह ने कहा कि इस प्रणाली के तहत प्राप्त कर राजस्व और रायों को दिए जाने वाले मुआवजे का विश्लेषण करने बाद काउंसिल इस बारे में फैसला कर सकती है। नोटबंदी के बाद उद्योग जगत जीएसटी की प्रस्तावित दरों में कटौती की मांग कर रहा है। फिलहाल जीएसटी दरों के प्रस्तावित स्लैब 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत हैं।
शाह ने गुरुवार को यहां उद्योग चैंबर एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्र और रायों को अप्रत्यक्ष करों से फिलहाल आठ लाख करोड़ रुपये मिलते हैं। इनमें सीमा शुल्क शामिल नहीं है। जीएसटी प्रणाली के तहत भी इतनी ही राशि टैक्स के रूप में आनी चाहिए। टैक्स स्लैब में किसी भी बदलाव के बारे में राजस्व और छूटों व कटौतियों के आकलन का आकलन करने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है। इस बारे में जीएसटी काउंसिल को निर्णय लेने की पूरी छूट है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल ने नवंबर में चार स्लैब वाले ढांचे पर सहमति जताई थी। केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू होने के चलते पांच साल तक रायों को होने वाले राजस्व की भरपाई का वादा किया है। मोदी सरकार ने जीएसटी को अगले साल अप्रैल से लागू करने का लक्ष्य तय कर रखा है। जीएसटी में केंद्र व रायों के अधिकांश अप्रत्यक्ष कर शामिल हैं।
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