जम्मू। जम्मू-कश्मीर सालों से जल रहा है। यहां हिंसा और आगजनी ही घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बल्कि दिन पर दिन ये हिंसा और आग पकड़ रही है। एक आकड़ों के अनुसार साल 2016 में जम्मू-कश्मीर में दंगों की घटनाएं तीन गुना बढ़ गई हैं, जबकि आगजनी की घटनाओं में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।
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पिछले साल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद राज्य में 5 महीनों का बंद भी रहा। राज्य पुलिस के क्राइम ब्रान्च द्वारा जारी डेटा के मुताबिक, जम्मू और कश्मीर में पिछले साल दंगों की 3,404 घटनाएं हुई हैं वहीं, 2015 में इस तरह की 1,157 घटनाएं ही दर्ज की गई थीं। इसके अलावा 2016 में पुलिस ने 267 आगजनी की घटानाएं दर्ज की हैं जो 2015 में 147 थीं।
बीते वर्ष सांप्रदायिक दंगों की घटनाएं भी ज्यादा हुईं। वर्ष 2015 में ऐसे चार मामले थे, जबकि वर्ष 2016 में ऐसे छह मामले दर्ज किए गए। गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम के तहत वर्ष 2016 में 146 मामले दर्ज हुए। वर्ष 2015 में ऐसे 44 मामले दर्ज हुए थे। वानी सैनिकों से मुठभेड़ में मारा गया था।
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हिंसा में 90 नागरिक मारे गए थे और लगभग 12,000 लोग घायल हुए थे। सीआरपीएफ के निवर्तमान महानिदेशक के. दुर्गा प्रसाद ने बताया था कि जम्मू एवं कश्मीर में सीआरपीएफ की अतिरिक्त 158 कंपनियां (16,000 से अधिक जवान) आतंकवादी गातिविधियों को रोकने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैनात की गईं थीं।
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